बीजिंग, 14 अप्रैल . हाल में अमेरिका ने टैरिफ नीति के इस्तेमाल से अन्य देशों और क्षेत्रों पर मनमाने ढंग से हमला किया. सभी पक्षों ने स्पष्ट रूप से इसका कड़ा विरोध किया. व्यापक विचार है कि अमेरिका का कदम विश्व प्रवृत्ति के विपरीत है. इससे विश्व अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा.
जब अमेरिका टैरिफ बाधा से ऊंची दीवार बनाता है, चीन का हाईनान प्रांत बाधा को तोड़कर खुले रवैये से वैश्विक व्यापारिक साझेदारों का स्वागत करता है और अंतर्राष्ट्रीय व्यापारिक नियम के नवाचार के लिए परीक्षण स्थल प्रदान करता है. यह रणनीतिक विभाजन वैश्वीकरण की प्रक्रिया में गहन विखंडन को दर्शाता है और विश्व आर्थिक व्यवस्था के पुनर्गठन के लिए नई दिशा का संकेत देता है.
हाईनान प्रांत चीन के सबसे दक्षिण इलाके में स्थित है. वहां पर आश्चर्यजनक उष्णकटिबंधीय दृश्य है, रंगारंग सांस्कृतिक रीति-रिवाज है और अनूठी जीवन शैली है, जो देशी-विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करती है. आज यह उष्णकटिबंधीय द्वीप पर्यटन स्थल से मुक्त व्यापार परीक्षण स्थल में बदल रहा है.
चीन का हाईनान मुक्त व्यापार परीक्षण क्षेत्र हाईनान मुक्त व्यापार बंदरगाह के रूप में भी जाना जाता है. इसके निर्माण की योजना चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने खुद बनाई है. हाईनान मुक्त व्यापार बंदरगाह का निर्माण चीन की प्रमुख राष्ट्रीय रणनीति है. इसका लक्ष्य दुनिया में खुलेपन के सर्वोच्च स्तर का एफटीए बनाना है. पारंपरिक मुक्त व्यापार क्षेत्र बंदरगाह या गोदाम तक सीमित है. इसके विपरीत हाईनान मुक्त व्यापार बंदरगाह का दायरा पूरे हाईनान द्वीप को कवर करता है, जिसका कुल भूमि क्षेत्र 35,400 वर्ग किलोमीटर है.
यहां पर शून्य टैरिफ, कम कर दर और सरल कर प्रणाली आदि उदार नीतियां लागू की जाती हैं. व्यापार, निवेश, सीमापार पूंजी प्रवाह, लोगों का प्रवेश-निकास और परिवहन मुक्त और सुविधाजनक है. तेरह मुख्य औद्योगिक पार्कों का प्रभाव इकट्ठा होता है. हाईनान मुक्त व्यापार बंदरगाह के तेज निर्माण के चलते हाईनान के आयात-निर्यात की कुल मात्रा में वृद्धि जारी है.
आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल हाईनान प्रांत का आयात-निर्यात 2 खरब 77 अरब 65 करोड़ युआन रहा, जो वर्ष 2023 की तुलना में 20 प्रतिशत अधिक है. अब हाईनान में निवेश करने वाले देशों और क्षेत्रों की संख्या 158 तक पहुंची. इससे हाईनान का मजबूत आकर्षण साबित हुआ. हाईनान न सिर्फ नए युग में चीन के खुलेपन की महत्वपूर्ण खिड़की है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों के लिए कम लागत में एशियाई बाजार में प्रवेश करने का मंच भी है.
इस साल के अंत में पूरे हाईनान द्वीप में बंद सीमा संचालन शुरू होगा. इसके चलते चीन फिर एक बार दुनिया को खुलेपन में अपना दृढ़ रवैया दिखाएगा. चाहे अंतर्राष्ट्रीय स्थिति में कितना भी परिवर्तन क्यों न हो, चीन में खुलेपन का द्वार और बड़ा होगा.
वहीं, अमेरिका पर नजर डालें तो, स्टील और एल्युमीनियम टैरिफ से लेकर ऑटोमोबाइल टैरिफ और “पारस्परिक टैरिफ” तक अमेरिका खुद को एक बंद अर्थव्यवस्था में बदल रहा है. अमेरिका की ताजा टैरिफ नीति के विरोध में यूरोपीय संघ, ब्रिटेन और कनाडा आदि अमेरिका के पारंपरिक आर्थिक सहयोगियों ने क्रमशः अपने हितों की रक्षा में सभी आवश्यक जवाबी कदम उठाने की घोषणा की. इसके चलते अमेरिका अलगाव में पड़ रहा है. विश्व प्रवृत्ति के विरुद्ध में अमेरिका ने जो भी किया है, उससे दुनिया में “डी-अमेरिकनीकरण” को बढ़ावा दिया जा रहा है.
जब वैश्वीकरण एक बार फिर चौराहे पर खड़ा है, इस खेल की प्रकृति स्पष्ट होती जा रही है. यह वैश्वीकरण और एकतरफावाद के बीच टकराव ही नहीं, खुलेपन और बंद द्वार के बीच लड़ाई भी है. चीन का संस्थागत खुलापन व्यापार युद्ध के मुकाबले के लिए अस्थायी उपाय नहीं है, बल्कि नया विकास पैटर्न बनाने के लिए रणनीतिक विकल्प है. इसमें न केवल बहुपक्षीय व्यापारिक व्यवस्था की दृढ़ रक्षा शामिल है, बल्कि वैश्वीकरण के परिवर्तन और उन्नयन को बढ़ावा देने की पूर्वी बुद्धिमत्ता भी प्रतिबिंबित होती है. खुलेपन और बंद द्वार की प्रतिस्पर्धा में हाईनान मुक्त व्यापार बंदरगाह एक प्रकाश स्तंभ की तरह धुंधली विश्व अर्थव्यवस्था के लिए आगे का रास्ता दिखाता है.
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
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एबीएम/
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