वाराणसी, 17 जुलाई . उत्तर भारत में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश का असर अब मैदानी इलाकों में साफ दिखाई दे रहा है. धार्मिक नगरी काशी में मां गंगा उफान पर हैं, जिसके चलते वाराणसी के प्रसिद्ध 84 घाटों में पानी भर गया है. कई घाट पूरी तरह जलमग्न हो चुके हैं, और घाटों के किनारे बने मंदिरों में भी पानी घुस गया है.
खास तौर पर अस्सी घाट, जो पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र रहा है, पूरी तरह डूब चुका है. यहां हर सुबह होने वाला ‘सुबहे बनारस’ का मंच भी गंगा की लहरों में समा गया है.
स्थानीय प्रशासन ने गंगा के बढ़ते जलस्तर को देखते हुए लोगों को गहरे पानी में न जाने की चेतावनी दी है. घाटों पर लगातार मुनादी की जा रही है और छोटी-बड़ी सभी नौकाओं के संचालन पर रोक लगा दी गई है. गंगा का जलस्तर वर्तमान में 68.94 मीटर पर पहुंच चुका है, जो चेतावनी निशान 70.262 मीटर के करीब है.
खतरे का निशान 71.262 मीटर है, और जलस्तर 1 सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रहा है. यदि यह गति बरकरार रही, तो आने वाले दिनों में निचले इलाकों में जलभराव की स्थिति बन सकती है, जिससे स्थानीय लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.
स्थानीय निवासी राकेश पांडेय ने समाचार एजेंसी से बातचीत में बताया, “पानी में बढ़ोतरी तो हुई है, लेकिन फिलहाल स्थिर है. कोई नहीं बता सकता कि पानी बढ़ेगा या घटेगा. पर्यटकों का आना-जाना कम हो गया है. लोग घाटों पर नहीं आ रहे, बस दूर से नजारा देखकर चले जा रहे हैं.”
उन्होंने यह भी बताया कि गंगा आरती की संख्या भी कम हो रही है. पहले छह आरती होती थीं, फिर तीन, और अब एक या दो ही हो रही हैं.
ग्वालियर से आई पर्यटक शिवानी तोमर ने निराशा जताते हुए कहा, “हम काशी घूमने आए थे, लेकिन घाटों पर पानी का तेज बहाव है. प्रशासन ने हमें पानी से दूर रहने को कहा है. स्थिति देखकर काफी निराशा हो रही है.”
स्थानीय निवासी हरिशंकर दुबे ने बताया, “पानी स्थिर है, लेकिन प्रशासन ने सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम किए हैं. एक रेखा खींची गई है, जिसे कोई पार न करे. लोगों को पानी से दूर रहने की हिदायत दी जा रही है.”
ग्वालियर के ही विकास सिंह तोमर ने कहा, “घाटों पर इतना पानी भर गया है कि कुछ दिखाई नहीं दे रहा. पुलिस सुरक्षा के लिए मुस्तैद है और नावों का संचालन भी बंद कर दिया गया है. हमें नहीं पता था कि यहां ऐसी स्थिति होगी.”
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एसएचके/केआर
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