New Delhi, 13 जुलाई . देवादिदेव भोले शंकर को समर्पित श्रावण मास प्रतिपदा से आरंभ हो चुका है. औढरदानी को प्रसन्न करने के लिए भक्त कई जतन करते हैं, लेकिन भगवान तो भाव के भूखे हैं, इसलिए जब भी इस दिन समय मिले, उन्हें सिर्फ एक लोटा जल चढ़ाके खुश कर सकते हैं. अक्सर आपने देखा होगा कि शिवलिंग पर भगवान को दूध, दही, धतूरा, बेलपत्र जैसे पदार्थ अर्पित किए जाते हैं, लेकिन क्या कभी आपने सोचा ऐसा क्यों होता है?
14 जुलाई को कृष्णपक्ष की चतुर्थी पड़ रही है, सावन का प्रथम Monday भी. इस दिन भोलेनाथ का अभिषेक शहद, दूध, दही, गुड़ इत्यादि से करते हैं. ये वो सब चीजें हैं जो हलाहल पीने वाले भगवान सहर्ष स्वीकारते हैं, ऐसे पदार्थ जिन्हें बारिश के मौसम में मानव के लिए वर्जित माना जाता है. दरअसल, सावन यानी बरसात के दिनों में नमी की वजह से बैक्टीरिया और कीटाणु ज्यादा तेजी से फैलते हैं और ऐसे मौसम में इन पदार्थों के सेवन से गैस, एसिडिटी, अपच या अन्य पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं.
आयुर्वेद के मुताबिक, वात और कफ दोष में बैलेंस न होने के कारण मानसून में पाचन अग्नि कमजोर हो जाती है, जिससे अपच, गैस और पेट फूलने की समस्या हो सकती है और ऐसे समय में ही दूध, दही, गुड़ जैसी चीजों से परहेज करने को कहा जाता है. यही कारण है कि जो हमें वर्जित होती है वही भोले बाबा स्वीकार कर लेते हैं. एक तरह से चराचर जगत के स्वामी पिता की तरह अपने बच्चों का दुख हर, सुख समृद्धि का आशीष देते हैं.
लेकिन ये भोले बाबा ही हैं जो दूध, दही और गर्म तासीर वाले गुड़ को भी स्वीकार कर लेते हैं. ये शिवजी की महानता और भक्तों के प्रति असीम प्रेम को दर्शाता है.
अब सवाल ये भी उठता है कि इंसान तो धतूरे का आमतौर पर सेवन करता नहीं, तो फिर क्यों महादेव पर इसे चढ़ाया जाए? इसका जवाब मान्यताओं और भगवान के विषपानसे जुड़ा है. जब समुद्र मंथन से विष निकला तो धरती को बचाने के लिए महादेव ने उसका पान कर लिया, लेकिन उसकी गर्मी से वो निढाल होने लगे. ऐसे में देवताओं ने भगवान शिव के सिर से विष की गर्मी को दूर करने के लिए सिर पर धतूरे और भांग से जलाभिषेक किया और विष उतर गया.
पुराणों के अनुसार तब से ही शिव जी को धतूरा, भांग और जल चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई.
दृक पंचांगानुसार 14 जुलाई को ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04.11 से 04.52 बजे तक रहेगा, अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11:59 से 12:55 बजे तक रहेगा. शिव को भक्त के भाव से प्रेम है. इस दिन प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें. शिवलिंग की पूजा के लिए मंदिर जाएं. शिवलिंग का अभिषेक जल, दूध, दही, शहद, घी और गंगाजल से करने के उपरांत बेलपत्र, सफेद पुष्प, धतूरा, आक, अक्षत और भस्म अर्पित करना श्रेयस्कर होता है. भगवान शिव को सफेद मिठाई का भोग लगाएं और तीन बार ताली बजाते हुए उनका नाम स्मरण करें. जलाभिषेक के दौरान मूल मंत्र ‘ओम नमः शिवाय’ उत्तम होता है.
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केआर/
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