नई दिल्ली, 6 अप्रैल . देश में (5 अप्रैल 2025 तक) 1.76 लाख से अधिक सक्रिय आयुष्मान आरोग्य मंदिर हैं, जो व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रदान कर रहे हैं. इसके अलावा, अब तक 76 करोड़ से अधिक आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाते (एबीएचए) बनाए जा चुके हैं. केंद्र सरकार ने विश्व स्वास्थ्य दिवस की पूर्व संध्या पर रविवार को यह जानकारी दी.
विश्व स्वास्थ्य दिवस हर साल 7 अप्रैल को मनाया जाता है. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने कहा कि उसने विभिन्न प्रमुख पहलों और कार्यक्रमों के माध्यम से देश के सार्वजनिक स्वास्थ्य परिणामों को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण प्रगति की है और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) ने इस प्रगति में केंद्रीय भूमिका निभाई है.
आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) एक एकीकृत डिजिटल स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र है जो एक अंतर-संचालन योग्य डिजिटल बुनियादी ढांचे के माध्यम से रोगियों, स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और प्रणालियों को सुरक्षित रूप से जोड़ता है.
एबीडीएम योजना के तहत 5.95 लाख से अधिक सत्यापित स्वास्थ्य पेशेवर पंजीकृत हैं, जिनमें 3.86 लाख से अधिक सत्यापित स्वास्थ्य सुविधाएं हैं. एबीडीएम के तहत 52 करोड़ से अधिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड जुड़े हुए हैं.
यू-विन एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है जो गर्भवती महिलाओं और बच्चों (0-16 वर्ष) के लिए टीकाकरण को सुव्यवस्थित और ट्रैक करता है, जिससे सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (यूआईपी) के तहत किसी भी समय और कहीं भी वैक्सीन की पहुंच को सुविधाजनक बनाया जा सकता है.
मंत्रालय ने बताया, “15 दिसंबर 2024 तक 7.90 करोड़ लाभार्थियों को पंजीकृत किया गया है, 1.32 करोड़ टीकाकरण सत्र आयोजित किए गए हैं और यू-विन पर 29.22 करोड़ को वैक्सीन की खुराक दी गई है.”
राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा, ई-संजीवनी, निःशुल्क समान और दूरस्थ चिकित्सा परामर्श प्रदान करके स्वास्थ्य सेवा पहुंच में अंतर को पाटती है, जो प्राथमिक देखभाल के लिए दुनिया का सबसे बड़ा टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म बन गया है.
मंत्रालय के अनुसार, “साल 2020 में अपनी शुरुआत के बाद से 6 अप्रैल 2025 तक ई-संजीवनी ने टेलीकंसल्टेशन के माध्यम से 36 करोड़ से अधिक रोगियों की सेवा की है, जिससे अब तक 232,291 प्रदाताओं के साथ दूरस्थ रूप से स्वास्थ्य सेवा सुलभ हो गई है.”
इसके अलावा, भारत में एमएमआर (मातृ मृत्यु दर) 130 (2014-16) से घटकर 97 (2018-20) प्रति एक लाख जीवित जन्म हो गई. पिछले 30 वर्षों (1990-2020) में देश में एमएमआर में 83 प्रतिशत की गिरावट आई है, जबकि इसी अवधि में वैश्विक एमएमआर में 42 प्रतिशत की कमी आई है.
आईएमआर (शिशु मृत्यु दर) 39 (2014) से घटकर 28 (2020) प्रति एक हजार जीवित जन्म हो गई है. एनएमआर (नवजात मृत्यु दर) 26 (2014) से घटकर 20 (2020) प्रति एक हजार जीवित जन्म हो गई है.
मंत्रालय ने कहा कि यू5एमआर (5 वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर) भी 45 (2014) से घटकर 32 (2020) प्रति एक हजार जीवित जन्मों पर आ गई है.
इस बीच, डब्ल्यूएचओ विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2024 ने मलेरिया उन्मूलन में भारत की बड़ी प्रगति पर प्रकाश डाला, जिसमें 2017 और 2023 के बीच मामलों में 69 प्रतिशत की गिरावट और मौतों में 68 प्रतिशत की कमी आई.
साल 2023 में वैश्विक मामलों में केवल 0.8 प्रतिशत का योगदान करते हुए साल 2024 में डब्लूएचओ के उच्च बोझ से उच्च प्रभाव (एचबीएचआई) समूह से भारत का बाहर निकलना एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य उपलब्धि है.
सरकार ने 2024 में सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में ट्रेकोमा को समाप्त कर दिया है, जिसे डब्लूएचओ ने मान्यता दी है.
डब्लूएचओ की वैश्विक टीबी रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने तपेदिक नियंत्रण में मजबूत प्रगति की है. राष्ट्रीय तपेदिक उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के तहत, 2015 और 2023 के बीच प्रति लाख जनसंख्या पर टीबी के मामलों में 17.7 प्रतिशत की गिरावट आई है, जो 237 से घटकर 195 मामले रह गई है.
टीबी से संबंधित मौतें भी 28 से घटकर 22 प्रति लाख रह गई हैं. उल्लेखनीय रूप से, टीबी के लापता मामलों में 83 प्रतिशत की कमी आई है, जो 2015 में 15 लाख से घटकर 2023 में 2.5 लाख हो गई है.
विश्व स्वास्थ्य दिवस का उद्देश्य वैश्विक स्वास्थ्य समस्याओं पर प्रकाश डालना और सार्वजनिक स्वास्थ्य परिणामों को बेहतर बनाने के लिए कार्रवाई को गति प्रदान करना है.
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पीएसके/एकेजे
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