नई दिल्ली, 7 अप्रैल . ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. एआईएमपीएलबी के वकील एडवोकेट एमआर शमशाद ने सोमवार को कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड शुरू से वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ रहा है. जेपीसी में भी पेश होकर अपनी बात रखी थी. हम इस संशोधन का विरोध कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि ये संशोधन भेदभावपूर्ण है और संविधान के आर्टिकल 25 का उल्लंघन करता है. इसके साथ ही इस एक्ट के जरिए धार्मिक मामले में भी छेड़छाड़ की गई है. सेंट्रल वक्फ काउंसिल वक्फ की मॉनिटरिंग करती है, उसमें मुस्लिम व्यक्ति रखे जाते हैं, लेकिन इस एक्ट के जरिए इसे भी प्रभावित किया गया है.
शमशाद ने कहा कि इस संशोधन के जरिए वक्फ से जुड़ी पूरी योजना को चाहे धार्मिक नजरिए से देखा जाए या 1995 में स्थापित और बाद में संशोधित किए गए वैधानिक प्रावधानों से, सभी को प्रभावित किया गया है. धार्मिक और वैधानिक दोनों ही पहलू प्रभावित हुए हैं. ये सभी मुद्दे उठाए गए हैं और इस मामले को अदालत में उठाया जाएगा. अब हमें इंतजार करना होगा और देखना होगा कि क्या आदेश पारित होता है.
बता दें कि संसद के दोनों सदनों से बजट सत्र में पारित वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को शनिवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिल गई. इस संबंध में गजट अधिसूचना जारी होने के साथ ही वक्फ अधिनियम, 1995 का नाम भी बदलकर यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट, इम्पावरमेंट, एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट (उम्मीद) अधिनियम, 1995 हो गया है.
विपक्षी दलों और कई मुस्लिम संगठनों के विरोध के बावजूद हाल ही में लोकसभा और राज्यसभा में वक्फ संशोधन बिल को मंजूरी प्रदान की गई. लोकसभा में बिल के समर्थन में 288 और विरोध में 232 वोट पड़े थे, जबकि ऊपरी सदन (राज्यसभा) में इसके पक्ष में 128 और विरोध में 95 वोट पड़े थे.
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