नई दिल्ली, 6 अप्रैल . कर्ज में डूबी जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (जेएएल) के अधिग्रहण की होड़ में अरबपति गौतम अदाणी का समूह और एफएमसीजी क्षेत्र की दिग्गज कंपनी पतंजलि आयुर्वेद समेत 26 कंपनियां शामिल हैं.
रियल एस्टेट, सीमेंट निर्माण, आतिथ्य और इंजीनियरिंग एवं निर्माण जैसे क्षेत्रों में कारोबार करने वाली प्रमुख कंपनी जयप्रकाश एसोसिएट्स के लिए 3 जून 2024 को राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी), इलाहाबाद बेंच द्वारा कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया शुरू की गई थी.
कंपनी द्वारा बड़े पैमाने पर ऋणों के पुनर्भुगतान में चूक के बाद कार्यवाही शुरू की गई थी.
जेएएल ने शेयर बाजार को बताया है कि अदाणी एंटरप्राइजेज, टोरेंट ग्रुप, जिंदल पावर, डालमिया सीमेंट, ओबेरॉय रियल्टी, जीआरएम बिजनेस और कोटक अल्टरनेट एसेट मैनेजर्स जैसी कंपनियों ने कंपनी को अपने नियंत्रण में लेने के लिए अपनी अभिरुचि प्रस्तुत की है.
भारतीय दिवाला और दिवालियापन बोर्ड के नियमों के तहत समाधान प्रक्रिया में हिस्सा लेने वाले पात्र संभावित आवेदकों की अनंतिम (संभावित) सूची जारी की गई है.
जयप्रकाश एसोसिएट्स के खिलाफ लेनदारों द्वारा कुल दावे 57,185 करोड़ रुपये हैं, जो चौंकाने वाले हैं. सबसे बड़ा दावेदार नेशनल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड (एनएआरसीएल) है, जिसने भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व वाले बैंकों के एक कंसोर्टियम से जेएएल के तनावग्रस्त ऋणों को खरीदा था.
पतंजलि आयुर्वेद और अदाणी एंटरप्राइजेज के अलावा, अन्य इच्छुक बोलीदाताओं में जेपी इंफ्राटेक, जीएमआर बिजनेस एंड कंसल्टेंसी, जिंदल इंडिया पावर, एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी (इंडिया) और कई एसेट मैनेजमेंट फर्म तथा इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियां शामिल हैं.
जेएएल के पास उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में जेपी ग्रीन्स, नोएडा में जेपी ग्रीन्स विशटाउन के कुछ हिस्से और निर्माणाधीन जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास स्थित जेपी इंटरनेशनल स्पोर्ट्स सिटी जैसी प्रमुख रियल एस्टेट संपत्तियां हैं.
कंपनी के पास दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में वाणिज्यिक और कार्यालय संपत्तियां भी हैं. वह दिल्ली एनसीआर, मसूरी और आगरा में पांच होटलों का संचालन करती है.
सीमेंट सेगमेंट में, जेएएल के पास मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में चार प्लांट हैं, साथ ही लीज पर चूना पत्थर की खदानें भी हैं. हालांकि, ये सीमेंट इकाइयां वर्तमान में चालू नहीं हैं.
जयप्रकाश पावर वेंचर्स लिमिटेड, यमुना एक्सप्रेसवे टोलिंग लिमिटेड और जेपी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट लिमिटेड जैसी सहायक कंपनियों में भी कंपनी का निवेश है.
गत 11 मार्च तक वित्तीय संस्थानों को दिया जाने वाला कुल बकाया ऋण 55,409.28 करोड़ रुपये था. उल्लेखनीय है कि जेपी समूह की एक अन्य कंपनी जेपी इंफ्राटेक को पहले ही मुंबई स्थित सुरक्षा समूह ने एक अलग दिवालियापन प्रक्रिया के माध्यम से अधिग्रहित कर लिया है.
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एकेजे/डीएससी
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