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केंद्र ने उपभोक्ताओं को खराब गैस मीटरों से बचाने के लिए कड़े किए नियम

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नई दिल्ली, 14 अप्रैल . उपभोक्ता मामलों के विभाग ने सोमवार को कहा कि उसने नए ड्राफ्ट नियम तैयार किए हैं, जिसके तहत घरेलू, वाणिज्यिक और औद्योगिक उद्देश्यों में उपयोग होने वाले सभी गैस मीटरों के लिए उपयोग से पहले टेस्टिंग, वेरिफिकेशन और मुहर लगाना अनिवार्य करने का प्रस्ताव है. इससे उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा हो सकेगी.

उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इन गैस मीटरों का रिवेरिफिकेशन भी नियमों के तहत निर्धारित किया गया है ताकि उपयोग में होने पर उनकी शुद्धता सुनिश्चित की जा सके.

लीगल मेट्रोलॉजी (जनरल) नियम, 2011 के तहत तैयार किए गए इन नए नियमों का प्राथमिक उद्देश्य गैस के माप में सटीकता, पारदर्शिता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करना है.

सत्यापित और मुहर लगे गैस मीटरों से अधिक शुल्क लेने या कम माप करने पर लगाम लगेगी, विवादों में कमी आएगी और खराब या छेड़छाड़ किए गए मीटरों के खिलाफ उपभोक्ताओं को गारंटीकृत सुरक्षा सुनिश्चित होगी.

आधिकारिक बयान के अनुसार, उपभोक्ताओं को उचित बिलिंग, बेहतर ऊर्जा दक्षता और मानकीकृत उपकरणों से रखरखाव में बचत का फायदा होगा.

उपभोक्ता लाभों के अलावा, नए नियम ‘निर्माताओं’ और ‘गैस वितरण कंपनियों’ के लिए एक स्ट्रक्चर्ड फ्रेमवर्क तैयार करेंगे, जो इंटरनेशनल बेस्ट प्रैक्टिस और इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन ऑफ लीगल मेट्रोलॉजी स्टैंडर्ड्स से जुड़े होंगे.

ड्राफ्ट नियम तैयार करने के लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ लीगल मेट्रोलॉजी (आईआईएलएम), रीजनल रेफरेंस स्टैंडर्ड लैबोरेट्रीज (आरआरएसएल), इंडस्ट्री एक्सपर्ट और वॉलन्टरी कंज्यूमर ऑर्गनाइजेशंस (वीसीओ) के प्रतिनिधियों से मिलकर एक तकनीकी समिति का गठन किया गया था. साथ ही, भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) को ड्राफ्ट की जांच करने और वैज्ञानिक तथा तकनीकी इनपुट प्रदान करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी.

ड्राफ्ट नियमों को निर्माताओं, परीक्षण प्रयोगशालाओं, सिटी गैस डिस्ट्रिब्यूशन (सीजीडी) कंपनियों और स्टेट लीगल मेट्रोलॉजी डिपार्टमेंट सहित हितधारकों के बीच व्यापक रूप से प्रसारित किया गया था.

आधिकारिक बयान में कहा गया है कि हितधारकों की बैठकों और अंतर-विभागीय परामर्श के कई दौर आयोजित किए गए थे जिनमें नियामक जरूरतों और नियमों को लागू करने में आसानी के बीच संतुलन बनाते हुए हर पहलू पर व्यापक रूप से ध्यान दिया गया था.

विचार-विमर्श के बाद, नियमों को अंतिम रूप दिया गया. इसमें ट्रांजिशनल पीरियड का भी प्रावधान किया गया है ताकि उद्योग और कार्यान्वयन करने वाली एजेंसियां अनुपालन के लिए तैयार हो सकें.

एसकेटी/एकेजे

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