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नेपाल : राजशाही समर्थक नेता 12 दिन की हिरासत में, करना पड़ सकता है देशद्रोह के आरोप का सामना

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काठमांडू, 12 अप्रैल . नेपाली व्यवसायी दुर्गा प्रसाद पर देशद्रोह और संगठित अपराध के आरोपों का सामना करना पड़ सकता है. उन्हें 28 मार्च को काठमांडू के तिनकुने इलाके में राजशाही के समर्थन में हुए हिंसक प्रदर्शन में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. इसके बाद काठमांडू जिला अदालत ने उन्हें 12 दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया.

जिला अटॉर्नी ने शुक्रवार को कहा कि जांच आगे बढ़ने पर उन पर और भी आरोप लगाए जा सकते हैं.

स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, पुलिस दुर्गा प्रसाई पर देशद्रोह, संगठित अपराध, जानबूझकर नुकसान पहुंचाने, हत्या की कोशिश, सार्वजनिक व निजी संपत्ति को नुकसान और आगजनी जैसे आरोप लगाने की तैयारी कर रही है.

इससे पहले दुर्गा प्रसाई को भारत में पकड़ा गया और फिर उन्हें काकरभिट्टा बॉर्डर के रास्ते काठमांडू लाया गया. उनके साथ गिरफ्तार किए गए अंगरक्षक दीपक खड़का को भी उतने ही दिनों के लिए पुलिस हिरासत में रखा गया.

प्रमुख नेपाली समाचार पत्र काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, नेपाल पुलिस के एक विशेष दल ने गुरुवार को भारत के असम में प्रसाई को ढूंढ निकाला और शुक्रवार को उन्हें झापा लाया गया.

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, “हम भारतीय पुलिस की मदद से उसे ढूंढने और वापस लाने में सफल रहे.”

हालांकि, प्रसाई के समर्थकों का कहना है कि उसने सुरक्षा की गारंटी मिलने के बाद भारतीय पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया. रिपोर्ट्स के मुताबिक, असम पुलिस उसे सीमा क्षेत्र तक लायी और फिर नेपाल पुलिस को सौंप दिया.

नेपाल पुलिस अधिकारी ने कहा, “नेपाल और भारत के बीच पिछले संबंधों के आधार पर हम प्रसाई को असम से लाए, जहां वह एक नेपाली भाषी परिवार के घर में छिपा हुआ था.”

पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, हालांकि नेपाल और भारत के बीच कोई औपचारिक प्रत्यर्पण संधि नहीं है, फिर भी दोनों देश आपसी समझ के आधार पर संदिग्धों को एक-दूसरे के देश में भेजते रहे हैं.

नेपाली पुलिस के मुताबिक, प्रसाई और खड़का को 28 मार्च को तिनकुने में राजशाही समर्थकों द्वारा किए गए हिंसक प्रदर्शनों में शामिल होने के कारण गिरफ्तार किया गया. उन पर राज्य के खिलाफ अपराध करने और संगठित अपराध करने के आरोप हैं.

28 मार्च को काठमांडू के तिनकुने क्षेत्र में राजशाही समर्थक प्रदर्शनों के दौरान तनाव फैल गया था. नवराज सुबेदी के नेतृत्व में संयुक्त आंदोलन समिति ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया था.

एसएचके/एमके

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