मानव शरीर में रक्त का बहुत महत्व है। लेकिन अगर यह रक्त किसी दूसरे व्यक्ति का हो और शरीर से मेल न खाता हो, तो इसके परिणाम बेहद खतरनाक हो सकते हैं। जब किसी मरीज को अस्पताल में रक्त की आवश्यकता होती है, तो रक्त आधान प्रक्रिया की जाती है। हालाँकि यह प्रक्रिया सामान्य लगती है, लेकिन यह बेहद नाजुक और संवेदनशील होती है। इसी तरह, जब गलत रक्त समूह का रक्त चढ़ाया जाता है, तो यह बेहद खतरनाक होता है।
गलत रक्त चढ़ाने पर क्या होता है?
डॉक्टरों के अनुसार, जब किसी व्यक्ति को गलत रक्त चढ़ाया जाता है जो उसके शरीर के रक्त समूह से मेल नहीं खाता, तो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली उस रक्त को ‘बाहरी खतरा’ मान लेती है। इसे चिकित्सकीय भाषा में एक्यूट हेमोलिटिक ट्रांसफ्यूजन रिएक्शन (AHTR) कहा जाता है।
इसमें, शरीर बाहर से चढ़ाए गए रक्त पर प्रतिक्रिया करता है और उसे नष्ट करने के लिए एंटीबॉडी बनाता है। परिणामस्वरूप, रक्त कोशिकाएं टूटने लगती हैं और शरीर के विभिन्न अंग प्रभावित होते हैं।
शुरुआती लक्षण क्या हैं?
अचानक बुखार आना
छाती या पीठ में तेज़ दर्द
साँस लेने में तकलीफ़
लाल या गहरे रंग का पेशाब
रक्तचाप में अचानक गिरावट
शरीर पर सूजन
एलर्जी
अगर इन लक्षणों को समय पर पहचाना न जाए और तुरंत इलाज न किया जाए, तो यह स्थिति किडनी फेलियर, शॉक या मौत जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती है।
ऐसी गलतियाँ क्यों होती हैं?
आमतौर पर अस्पताल या ब्लड बैंक में रक्त चढ़ाने से पहले ‘ब्लड टाइपिंग’ और अन्य ज़रूरी जाँचें की जाती हैं। लेकिन अगर कोई लापरवाही बरते, रक्त की बोतल पर लेबल गलत लगा हो या आपात स्थिति में बिना पूरी जाँच के रक्त चढ़ा दिया जाए, तो यह जानलेवा हो सकता है।
ऐसी गलती से खुद को कैसे बचाएँ?
बॉडी टाइपिंग की सावधानीपूर्वक जाँच करें – रक्त देने से पहले मरीज़ के ब्लड ग्रुप की सही जाँच कर लेनी चाहिए।
क्रॉस-मैचिंग ज़रूरी है – डोनर और मरीज़ के रक्त को मिलाकर उनके आपसी प्रभावों की जाँच करना ज़रूरी है।
सूचित रहें – रोगी के परिवार के लिए यह महत्वपूर्ण है कि उन्हें चढ़ाए जाने वाले रक्त समूह के बारे में पूरी जानकारी हो।
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