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नींद की कमी से दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ता है

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नींद का महत्व

सोना मानव जीवन के लिए उतना ही आवश्यक है जितना भोजन। लगातार काम करने से शरीर थक जाता है, इसलिए आराम करना जरूरी है। यदि हम अपने शरीर को आराम नहीं देते, तो थकावट से बीमारियाँ उत्पन्न हो सकती हैं, जो आगे चलकर गंभीर समस्याएँ पैदा कर सकती हैं। एक सामान्य व्यक्ति के लिए 6 से 7 घंटे की नींद लेना आवश्यक है। इससे कम सोने से हृदय पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जिससे दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है।


नींद और स्वास्थ्य

विभिन्न आयु वर्ग के लिए वैज्ञानिकों ने नींद की आवश्यक अवधि निर्धारित की है। यदि कोई व्यक्ति लगातार काम करने के बाद रात में कम सोता है, तो यह उसके दिल को नुकसान पहुँचा सकता है। हाल ही में एक अध्ययन में यह पाया गया है कि कम नींद जानलेवा हो सकती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि जो लोग 7 घंटे से कम सोते हैं, उनमें हृदय रोग का खतरा अधिक होता है।


शोध के निष्कर्ष

पत्रिका एक्सपेरिमेंटल फिजियोलॉजी में प्रकाशित एक लेख के अनुसार, जो लोग रात में 7 घंटे से कम सोते हैं, उनके रक्त में तीन माइक्रोआरएनए का स्तर कम होता है। ये माइक्रोआरएनए जीन मानव शरीर को प्रभावित करते हैं और संवहनी स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।


कोलोराडो विश्वविद्यालय के प्रोफेसर क्रिस्टोफर डेसूजा ने नींद पर अपनी रिपोर्ट में कहा कि यह शोध एक नए तंत्र की ओर इशारा करता है, जो नींद के दिल के स्वास्थ्य और समग्र शारीरिक क्रियाविधि पर प्रभाव डालने की संभावना को दर्शाता है।


शोध की प्रक्रिया

प्रोफेसर डेसूजा ने 44 से 62 वर्ष के लोगों के विभिन्न समूहों पर अध्ययन किया, जिसमें पुरुष और महिलाएँ दोनों शामिल थे। प्रतिभागियों से उनकी नींद की आदतों के बारे में प्रश्नावली भरी गई।


अधिकांश प्रतिभागी रात में 7 से 8.5 घंटे सोते थे, जबकि कुछ लोग 5 से 6.8 घंटे सोते थे। अनुसंधान टीम ने संवहनी स्वास्थ्य से जुड़े नौ माइक्रोआरएनए की अभिव्यक्ति को मापा।


शोध में यह स्पष्ट हुआ कि जो लोग 7 घंटे से कम सोते हैं, उनका एमआईआर-125ए, एमआईआर-126, और एमआईआर-14ए का स्तर पर्याप्त नींद लेने वालों की तुलना में 40 से 60 प्रतिशत कम था।


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