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भारत की अर्थव्यवस्था को गति देगा EFTA, 15 वर्षों में 20 ट्रिलियन डॉलर का लक्ष्य

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भारत की अर्थव्यवस्था को मिलेगा नया आयाम

ईएफटीए से भारत की इकोनॉमी को काफी फायदा होने वाला है.

भारत का व्यापार अमेरिका, चीन और यूएई जैसे देशों के साथ काफी सक्रिय है। अमेरिका के साथ भारत का व्यापार संतुलित है, जबकि चीन और यूएई से भारत का आयात अधिक है। किसी भी देश की अर्थव्यवस्था की वृद्धि के लिए निर्यात महत्वपूर्ण है, लेकिन आयात की भी अपनी अहमियत है। भविष्य में, यूरोप भारत के लिए व्यापार के मामले में अमेरिका, चीन और यूएई से भी अधिक महत्वपूर्ण बन सकता है। इसका मुख्य कारण यह है कि भारत ने यूरोप के देशों के साथ ईएफटीए समझौता किया है, जिससे 100 अरब डॉलर का निवेश और 10 लाख से अधिक रोजगार सृजित होने की उम्मीद है। वहीं, अमेरिका के टैरिफ भारत के लिए चुनौती बन रहे हैं, और चीन के साथ व्यापार से अपेक्षित लाभ नहीं मिल रहा है। ईएफटीए से भारत की स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा, और अगले 15 वर्षों में भारत की अर्थव्यवस्था 4 ट्रिलियन डॉलर से बढ़कर 20 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने की संभावना है।

100 अरब डॉलर का निवेश

भारत-यूरोपीय फ्री ट्रेड एसोसिएशन (EFTA) का व्यापार और आर्थिक साझेदारी समझौता 1 अक्टूबर से प्रभावी हो गया है। यह पारंपरिक मुक्त व्यापार समझौतों से भिन्न है और इसमें अगले 15 वर्षों में 100 अरब डॉलर के निवेश और 10 लाख से अधिक रोजगार सृजन की बाध्यकारी प्रतिबद्धताएं शामिल हैं। टैरिफ रियायतों को निवेश से जोड़ा गया है, जिससे 'मेक इन इंडिया' को समर्थन मिलेगा और वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग में भारत की हिस्सेदारी बढ़ेगी।

20 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था

फिक्की की डीजी ज्योति विज के अनुसार, यह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। अगले 15 वर्षों में भारत की 4 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था को 20 ट्रिलियन डॉलर में बदलने के लिए निवेश की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। उच्च आय वाली अर्थव्यवस्था बनने के लिए, भारत को निवेश दर को मौजूदा 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 33-34 प्रतिशत करना होगा। पिछले 10 वर्षों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का औसत हिस्सा लगभग 8.3 प्रतिशत रहा है।

आवश्यक कदम

ज्योति विज के अनुसार, भारत के विकास के लिए एफडीआई का यह आंकड़ा अभी भी कम है। 2035 तक 2 ट्रिलियन डॉलर से अधिक का एफडीआई और 2040 तक 2.4 ट्रिलियन डॉलर का अतिरिक्त निवेश आवश्यक है। हाल ही में नई दिल्ली में आयोजित भारत-EFTA समृद्धि शिखर सम्मेलन में EFTA और भारतीय व्यापार के बीच सकारात्मक दृष्टिकोण दर्शाता है कि टेपा के तहत 100 अरब डॉलर के निवेश का लक्ष्य जल्द ही पूरा हो सकता है।

वर्तमान में भारत-ईएफटीए व्यापार

वर्तमान में भारत-ईएफटीए व्यापार का आंकड़ा वित्त वर्ष 2024-25 में लगभग 24.4 अरब डॉलर है। भारत का निर्यात केवल 2 अरब डॉलर है, जो सोने के आयात 22 अरब डॉलर के मुकाबले बहुत कम है। टेपा 92.2 प्रतिशत टैरिफ लाइनों पर टैरिफ रियायतें प्रदान करके इस असंतुलन को दूर करता है।

भारत और यूरोप के संबंधों में सुधार

टेपा उच्च मूल्य वाले मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्रों, विशेष रूप से इलेक्ट्रिक मशीनरी और एल्युमीनियम उत्पादों के निर्यातकों के लिए नए अवसर प्रदान करता है। भारत ने अपनी 82.7 प्रतिशत टैरिफ लाइनों को EFTA देशों के लिए खोल दिया है, जिससे उन्हें महत्वपूर्ण बाजार पहुंच प्राप्त हुई है। हालांकि, भारत के कृषि जैसे संवेदनशील क्षेत्र संरक्षित हैं। ईएफटीए टेपा के लागू होने से भारत के यूरोप के साथ आर्थिक संबंधों में सुधार की संभावना है।


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