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रामायण की वानर सेना: विजय के बाद का रहस्य

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रामायण कथा: वानर सेना की अद्भुत यात्रा

रामायण कथा: श्री राम और रावण के बीच लंका में लड़ा गया युद्ध एक ऐतिहासिक घटना है। इस युद्ध में रावण की शक्तिशाली सेना थी, जिसे विश्व की सबसे मजबूत सैन्य शक्ति माना जाता था, जबकि राम के पास वानरों की एक नई सेना थी, जो पहले कभी युद्ध में नहीं लड़ी थी और युद्ध कला से अनभिज्ञ थी।



प्रभु श्री राम की यह सेना जल्दी में तैयार की गई थी। रावण ने पहले इस सेना का मजाक उड़ाया, लेकिन राम की वानर सेना ने दुश्मन को हराकर विजय प्राप्त की।


हालांकि, इस शानदार जीत के बाद वानर सेना का क्या हुआ, यह एक रहस्य बना हुआ है। इस लेख में हम इस महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा करेंगे।


श्री राम और लक्ष्मण ने वानर सेना को दीक्षित किया

जब भगवान श्री राम लंका में युद्ध के लिए गए, तब उनके पास एक वानर सेना थी, जिसे श्री राम और लक्ष्मण ने तैयार किया था। युद्ध में जीत के बाद, यह विशाल वानर सेना कहां चली गई, इस पर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है।


वाल्मीकि रामायण के अनुसार, राम-रावण युद्ध में वानर सेना की भूमिका महत्वपूर्ण थी। लेकिन सवाल यह है कि जब श्री राम ने युद्ध जीत लिया और अयोध्या लौट आए, तब यह वानर सेना कहां गई? सुग्रीव और अंगद, जो इस सेना के प्रमुख थे, का क्या हुआ? उत्तराखंड में उल्लेख है कि जब सुग्रीव लंका से लौटे, तो भगवान श्री राम ने उन्हें किष्किंधा का राजा बनाया और अंगद को युवराज।


सुग्रीव के साथ किष्किंधा में वानर सेना

श्री राम के युद्ध में भाग लेने वाली वानर सेना सुग्रीव के साथ किष्किंधा में कई वर्षों तक रही, लेकिन इसके बाद उन्होंने कोई बड़ी लड़ाई नहीं लड़ी। इस सेना के सभी प्रमुख सदस्य किष्किंधा में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों के साथ उपस्थित रहे। वानर सेना के नल और नील ने सुग्रीव के राज्य में मंत्री पद पर कार्य किया और अंगद और सुग्रीव ने मिलकर किष्किंधा के राज्य को आगे बढ़ाया।


किष्किंधा कर्नाटक में तुंगभद्रा नदी के किनारे स्थित है और यह बेल्लारी जिले में आता है। यहां प्राकृतिक सौंदर्य बिखरा हुआ है और कई गुफाएं हैं जहां राम और लक्ष्मण रुके थे।


दंडकारण्य का रहस्य

किष्किंधा के आसपास का क्षेत्र घने जंगलों से भरा हुआ है, जिसे दंडकारण्य कहा जाता है। यहां रहने वाली जनजाति को वानर कहा जाता था, जिसका अर्थ है 'वन में रहने वाले लोग'। रामायण में ऋष्यमूक पर्वत का उल्लेख है, जो आज भी तुंगभद्रा नदी के किनारे स्थित है।


राम ने कैसे बनाई वानरों की विशाल सेना?

जब यह तय हो गया कि सीता जी को रावण ने लंका में कैद किया है, तो श्री राम ने हनुमान और सुग्रीव की मदद से वानर सेना का गठन किया। यह सेना रामेश्वर की ओर बढ़ी, जहां से समुद्र पार करना आसान था।


वानर सेना में विभिन्न झुंड थे, जिनके पास एक सेनापति होता था, जिसे यूथपति कहा जाता था। लंका पर चढ़ाई के लिए सुग्रीव ने वानर और ऋक्ष सेना का प्रबंधन किया। यह सेना लगभग एक लाख वानरों की थी।


कई राज्यों से मिलकर बनी थी वानर सेना

यह सेना राम के कुशल प्रबंधन का परिणाम थी, जिसमें छोटे-छोटे राज्यों की सेनाएं शामिल थीं, जैसे किष्किंधा, कोल, भील, और अन्य वनवासियों की सेनाएं।


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