मौसम विभाग (IMD) ने 2025 के लिए यह जानकारी दी है कि इस वर्ष भारत में मानसून सामान्य से बेहतर रहने की उम्मीद है। यह भविष्यवाणी कृषि और देश की अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत है, क्योंकि कृषि क्षेत्र का भारत के जीडीपी में 18% योगदान है। इसके अलावा, देश की 42% से अधिक जनसंख्या की आजीविका कृषि पर निर्भर है।
मॉनसून का समय: जून से सितंबर
IMD के अनुसार, भारत में मई और जून के महीनों में अत्यधिक गर्मी का सामना करना पड़ता है, जिसके बाद लोग मानसून की शुरुआत का इंतजार करते हैं। IMD के प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने बताया कि इस वर्ष मानसून सीजन (जून से सितंबर) में सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना है, जिसमें कुल वर्षा 87 सेमी के दीर्घकालिक औसत का 105 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
एल नीनो का प्रभाव
इस साल भारतीय उपमहाद्वीप में एल नीनो की स्थिति विकसित होने की संभावना नहीं है, जो सामान्य से कम मानसून के लिए जिम्मेदार होता है। आमतौर पर, मानसून 1 जून के आसपास केरल में प्रवेश करता है और सितंबर के मध्य तक वापस चला जाता है। केरल से शुरू होकर, यह महाराष्ट्र, मध्य भारत और फिर उत्तर भारत में पहुंचता है, जहां बारिश होती है।
अत्यधिक वर्षा की परिभाषा
IMD के अनुसार, जब किसी स्थान पर 24 घंटे में 204.5 मिमी या उससे अधिक वर्षा होती है, तो इसे अत्यधिक भारी वर्षा कहा जाता है। यदि किसी शहर के मौसम स्टेशन पर दैनिक वर्षा उस महीने या मौसम के लिए सबसे अधिक दर्ज की गई मात्रा के करीब होती है, तो इसे असाधारण रूप से भारी वर्षा माना जाता है। पिछले दो वर्षों में अगस्त में देश में अत्यधिक भारी वर्षा देखी गई है.
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