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भुजंगासन योग: स्वास्थ्य के लिए लाभकारी आसन

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भुजंगासन योग | Bhujangasana Yoga

वर्तमान चिकित्सा विज्ञान में कई बीमारियों का इलाज संभव नहीं है, लेकिन योग एक ऐसी विधि है जो अनेक स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान प्रदान करती है।


योग के माध्यम से विभिन्न प्रकार की बीमारियों का उपचार किया जा सकता है। इनमें से एक महत्वपूर्ण आसन है भुजंगासन, जो फेफड़ों, रीढ़, छाती और पेट से संबंधित समस्याओं को ठीक करने में सहायक है.


भुजंगासन करने का तरीका

इस आसन को करने के लिए पेट के बल लेटें, पैरों को एक साथ मिलाकर सीधा रखें। तलवे ऊपर की ओर रहें। हाथों को छाती के पास फर्श पर रखें और कोहनियों को मोड़ें। धीरे-धीरे सिर, गर्दन, छाती और पेट को ऊपर उठाएं।


इस दौरान पैरों की उंगलियों से लेकर नाभि तक का हिस्सा जमीन पर स्थिर रहना चाहिए। गर्दन को तानते हुए सिर को पीछे की ओर उठाएं और दृष्टि को आकाश की ओर रखें।


आसन तब पूरा होगा जब आपका सिर, गर्दन, छाती और कमर का ऊपरी हिस्सा सर्प के फण के समान ऊँचा हो जाए। इस स्थिति में 2-3 सेकंड तक सांस रोकें। यदि सांस रोकना कठिन हो, तो सामान्य रूप से सांस लें। फिर छाती को जमीन पर रखें और शरीर को ढीला छोड़ दें। इस आसन को तीन बार दोहराना पर्याप्त है.


विशेष ध्यान दें

यह आसन सभी उम्र के लोगों के लिए फायदेमंद है, लेकिन हर्निया के रोगियों और गर्भवती महिलाओं को इसे नहीं करना चाहिए। जो लोग धनुरासन नहीं कर सकते, उन्हें भी इसका लाभ मिल सकता है।


सुबह और शाम तीन-चार मिनट का अभ्यास गैस की समस्याओं में राहत देता है.


भुजंगासन के अद्भुत फायदे

भुजंगासन से रीढ़ की हड्डी लचीली होती है और छाती तथा पीठ की समस्याएं दूर होती हैं। यह आसन मेरुदण्ड की हड्डियों को सही स्थान पर लाने में मदद करता है।


इससे कमर पतली और सीना चौड़ा होता है, जिससे शरीर आकर्षक बनता है। यह आसन युवाओं के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है, क्योंकि यह शारीरिक कमजोरी को दूर करता है।


भुजंगासन से पीठ, छाती, हृदय, कंधे और गर्दन की मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं। यह हृदय रोगों में भी लाभकारी है और रक्त संचार को बेहतर बनाता है।


महिलाओं के लिए यह आसन मासिक धर्म की समस्याओं को दूर करने में मदद करता है और उनके सौंदर्य को बनाए रखता है.


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