कानपुर में अखिलेश दुबे और उसके गिरोह की गुंडागर्दी का एक और मामला प्रकाश में आया है। भाजपा नेता और वकील मनोज सिंह ने पुलिस आयुक्त अखिल कुमार से शिकायत की है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि अखिलेश और उसके सहयोगियों ने उन्हें एक प्लॉट विवाद में झूठे मुकदमे में फंसाने का प्रयास किया और जान से मारने की धमकी दी।
इस मामले की जांच विशेष जांच दल (एसआईटी) को सौंपी गई है। मनोज सिंह ने बताया कि उन्होंने 2021 में रतनलाल नगर में रमेश कुमार बजाज से एक प्लॉट खरीदा था, जिसका बैनामा उनकी पत्नी के नाम पर था। रमेश ने अपने बेटे विपिन बजाज को संपत्ति से बेदखल कर दिया और विपिन और उसकी पत्नी रितिका के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया।
प्लॉट विवाद और धमकियां
मनोज के अनुसार, प्लॉट खरीदने से नाराज विपिन ने अखिलेश दुबे के साथ मिलकर उन्हें धमकाना शुरू किया। आरोप है कि विपिन के साथी टोनू यादव ने कहा कि यदि प्लॉट विपिन के नाम नहीं किया गया, तो अखिलेश के कहने पर उन्हें जेल भेज दिया जाएगा। मनोज ने बताया कि जब उन्होंने मना किया, तो 2023 में अखिलेश ने विपिन के माध्यम से गोविंद नगर थाने में उनके खिलाफ धोखाधड़ी और कूटरचित दस्तावेज बनाने का मामला दर्ज करवाया।
हालांकि, जांच में कोई साक्ष्य न मिलने पर पुलिस ने अंतिम रिपोर्ट (एफआर) लगा दी। इसके बावजूद, अखिलेश और उसके गुर्गों की धमकियां जारी रहीं। 22 अप्रैल 2025 को कचहरी में टोनू यादव ने मनोज को फिर से धमकाया और कहा कि अखिलेश कुछ भी करवा सकता है। उसी दिन दीनू उपाध्याय ने मनोज को सिविल लाइंस स्थित उदय सेंगर के घर बुलाया, जहां अखिलेश ने फोन पर धमकी दी कि यदि प्लॉट विपिन के नाम नहीं हुआ, तो ऐसा मुकदमा दर्ज करवाएंगे कि जेल से बचना मुश्किल होगा।
पुलिस की कार्रवाई और मीडिया में धमकी
पुलिस आयुक्त के स्टाफ अधिकारी राजेश पांडेय ने बताया कि अखिलेश के खिलाफ शिकायतों की जांच एसआईटी कर रही है। मनोज सिंह की शिकायत पर भी जांच के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी। शुक्रवार को अखिलेश दुबे को अदालत में पेश किया गया, जहां उसने मीडिया कर्मियों को धमकाया। कलेक्ट्रेट परिसर में पुलिस उसे वाहन से उतार रही थी, तभी उसने फोटोग्राफर्स को देखकर कहा, 'इनका तमाशा बंद करो। एक-एक की पहचान कर रहा हूं।' पुलिस प्रशासन ने इस घटना को गंभीरता से लिया और खुफिया इकाई से रिपोर्ट मांगी है।
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