यूनिक परंपरा: मृतकों की राख का सूप: दक्षिण अमेरिका में यानोमामी जनजाति की एक अनोखी परंपरा है, जिसमें मृतकों की राख का सूप बनाया जाता है। यह परंपरा किस प्रकार मनाई जाती है, आइए जानते हैं।
यूनिक परंपरा: मृतकों की राख का सूप: विभिन्न संस्कृतियों में अलग-अलग परंपराएं होती हैं। यानोमामी जनजाति की परंपरा भी कुछ इसी तरह की है। यह जनजाति अपने मृतकों का अंतिम संस्कार एक विशेष तरीके से करती है, जो आमतौर पर लोगों को चौंका देती है।
यहां, मृतकों की राख का सूप बनाकर पीने की परंपरा है। यह परंपरा किसके लिए है, आइए जानते हैं।
शवों की राख से सूप बनाना
दक्षिण अमेरिका की यानोमामी जनजाति अपने मृतकों को अंतिम विदाई देने के लिए एक अनोखा तरीका अपनाती है। इस जनजाति को यानम या सेनेमा भी कहा जाता है, और ये लोग ब्राजील और वेनेजुएला में निवास करते हैं। उनकी संस्कृति पश्चिमी सभ्यता से काफी भिन्न है।
यहां, अंतिम संस्कार का तरीका बहुत अलग है। यानोमामी लोग अपने मृतकों के शवों को जलाकर बची हुई राख का सूप बनाते हैं। इसे एंडोकैनिबेलिज्म कहा जाता है।
परंपरा का पालन कैसे किया जाता है?
जब यानोमामी जनजाति में किसी की मृत्यु होती है, तो शव को पेड़ों की पत्तियों और अन्य सामग्रियों से ढक दिया जाता है। 30 से 40 दिन बाद शव को वापस लाया जाता है, फिर उसे जलाया जाता है और राख का सूप तैयार किया जाता है।
इस परंपरा का उद्देश्य क्या है?
कई लोग यह जानने के इच्छुक हैं कि यानोमामी जनजाति इस परंपरा को क्यों मनाती है। उनका मानना है कि यह आत्मा की रक्षा करता है और इसे शांति प्रदान करता है। जब मृतक का शरीर उसके दोस्तों द्वारा खाया जाता है, तो यह आत्मा को शांति देता है। यही कारण है कि वे शवों को जलाने के बाद राख का सूप बनाकर पीते हैं।
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