Next Story
Newszop

JSW Steel को सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बड़ा झटका, भूषण पावर एंड स्टील की लिक्विडेशन से भारी नुकसान की आशंका

Send Push
स्टील उत्पादक कंपनी JSW Steel को सुप्रीम कोर्ट के एक अहम फैसले से करारा झटका लगा है। अदालत ने JSW Steel द्वारा 2019 में की गई भूषण पावर एंड स्टील की अधिग्रहण योजना को अवैध करार देते हुए इसे खारिज कर दिया है। इससे अब इस कंपनी को लिक्विडेशन यानी परिसमापन की ओर बढ़ना पड़ सकता है, जिससे JSW Steel को उत्पादन में 10-15% और EBITDA (ब्याज, कर, मूल्यह्रास और परिशोधन से पहले की आय) में लगभग 10% की गिरावट झेलनी पड़ सकती है। 19,700 करोड़ रुपये में हुआ था अधिग्रहणJSW Steel ने 2019 में दिवालिया हो चुकी भूषण पावर एंड स्टील को 19,700 करोड़ रुपये में अधिग्रहण किया था, जो कि कंपनी के मालिक सज्जन जिंदल के नेतृत्व में अब तक का सबसे बड़ा सौदा था। इस अधिग्रहण को नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (NCLT) ने मंजूरी दी थी, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने इसे अवैध घोषित कर दिया है। इसके परिणामस्वरूप कंपनी को न केवल निवेश में घाटा होगा, बल्कि विकास योजनाएं भी अधर में लटक सकती हैं। 13% उत्पादन पर खतरा, 4,000-4,500 करोड़ रुपये की संभावित EBITDA गिरावटभूषण पावर एंड स्टील, JSW Steel की कुल 34.2 मिलियन टन उत्पादन क्षमता में से 13% हिस्सेदारी रखती है। यदि यह कंपनी लिक्विडेट होती है, तो JSW को 42,000–45,000 करोड़ रुपये के अनुमानित EBITDA में से लगभग 4,000–4,500 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ सकता है। 15,000 करोड़ रुपये का नुकसान संभवविश्लेषकों के अनुसार, JSW Steel को भूषण से जुड़ी आर्थिक, कानूनी और अवसर लागतों के चलते 15,000 करोड़ रुपये तक का नुकसान झेलना पड़ सकता है, भले ही कंपनी को आंशिक धनवापसी मिले। JSW का मौजूदा एंटरप्राइज वैल्यू 33,000–35,000 करोड़ रुपये आंका गया है, जो अधिग्रहण के समय की राशि से कहीं अधिक है।सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद JSW Steel के शेयरों में 5.5% की गिरावट दर्ज की गई और BSE पर कंपनी का शेयर 972.15 रुपये पर बंद हुआ। कंपनी का बाजार पूंजीकरण अब 2,37,734 करोड़ रुपये हो गया है। भविष्य की ग्रोथ योजनाओं पर भी मंडराया संकटJSW Steel की योजना थी कि वह 2030-31 तक अपनी घरेलू उत्पादन क्षमता को 50 मिलियन टन तक ले जाए। भूषण पावर एंड स्टील को इसका अहम हिस्सा माना जा रहा था, जिसकी क्षमता 2027 तक 5 मिलियन टन और आगे चलकर 10 मिलियन टन तक बढ़ाने की योजना थी। लेकिन अब यह सपना अधूरा होता दिख रहा है। कानूनी लड़ाई का लंबा रास्ताविश्लेषकों का मानना है कि अभी भी कई सवाल अनुत्तरित हैं, पिछले चार वर्षों की कमाई पर JSW का अधिकार, कैश फ्लो की स्थिति, और कंपनी को क्या कानूनी विकल्प उपलब्ध हैं। भले ही JSW को कुछ फंड रिफंड मिले, लेकिन अब यह अधिग्रहण कंपनी के लिए फायदे से ज्यादा घाटे का सौदा बनता दिख रहा है।(अस्वीकरण: विशेषज्ञों द्वारा दी गई सिफारिशें, सुझाव, विचार और राय उनके अपने हैं. ये इकोनॉमिक टाइम्स हिन्दी के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं)
Loving Newspoint? Download the app now