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मोदी से मुलाक़ात के पहले ऑस्ट्रेलियाई पीएम ने 'भारतीय जासूसों' के सवाल पर क्या कहा?

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Getty Images प्रधानमंत्री मोदी और ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज़

ऑस्ट्रेलिया में भारत के लिए कथित रूप से जासूसी करने वाले एजेंटों को निष्कासित करने के मामले में ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज़ ने बयान दिया है.

शनिवार को उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों पर "निजी तौर पर" बात की जाती है.

क्वाड के सदस्य देशों की अहम बैठक में हिस्सा लेने के लिए रवाना होने से पहले एंथनी अल्बनीज़ पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे. उनसे सवाल किया गया कि पीएम मोदी से होने वाली मुलाक़ात में क्या भारतीय नागरिकों से जुड़े जासूसी वाले मुद्दे को उठाया जाएगा.

क्वाड की ये बैठक अमेरिका के विलमिंगटन के डेलावेयर में होने वाली है. इस कार्यक्रम में ऑस्ट्रेलिया के साथ-साथ भारत, अमेरिका और जापान के राष्ट्राध्यक्ष शिरकत कर रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी भी इस बैठक के लिए अमेरिका पहुंच गए हैं.

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क्वाड की बैठक के अलावा मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, जापानी प्रधानमंत्री फुमिया किशिदा और ऑस्टेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज़ से द्विपक्षीय बैठक भी करेंगे.

ऑस्ट्रेलियाई पीएम ने क्या कहा?

ऑस्टेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज़ से जिस मामले को लेकर सवाल किया गया वो साल 2010 का है, जिसके बारे में इसी साल अप्रैल में जानकारी सामने आई थी.

इस बारे में गुरुवार को फ़िलाडेल्फिया में एक पत्रकार ने उनसे सवाल किया कि क्या वो मोदी से कहेंगे कि "ऑस्ट्रेलियाई धरती पर इस तरह की जासूसी बंद करें और उससे दूर रहें."

इसके उत्तर में एंथनी अल्बनीज़ ने कहा, "जो मैं करूंगा वो है कूटनीतिक तरीके से काम करना और इस पर चर्चा करना. इसमें कोई शक़ नहीं कि इस बारे में कुछ न कुछ बात उठाई जाएगी."

"लेकिन भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच रिश्ते बेहद मज़बूत हैं. हम चाहते हैं कि व्यापक आर्थिक साझेदारी को लेकर आपसी सहमति बने और इसलिए हम प्रधानमंत्री मोदी के साथ चर्चा करेंगे. दोनों मुल्कों ने आर्थिक संबंधों को और बढ़ाया है."

जासूसी मामले से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा, "मैं इस तरह के मुद्दों को निजी तौर पर उठाता हूं, कूटनीतिक तरीकों से इसी तरह मुद्दों पर चर्चा की जाती है और मैं ऐसा करना जारी रखूंगा."

क्या है पूरा मामला?

अब तक मिली रिपोर्टों के अनुसार 2020 में ऑस्ट्रेलिया ने दो भारतीय नागरिकों को जासूसी के आरोप में निष्कासित कर दिया था.

इन दोनों पर कथित रूप से रक्षा परियोजनाओं और एयरपोर्ट सुरक्षा से जुड़ी संवेदनशील "ख़ुफ़िया जानकारी" चुराने का आरोप लगाया गया था.

जहां 'द ऑस्ट्रेलियन' और 'द सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड' ने अपनी रिपोर्टों में दो भारतीय जासूसों को देश से निष्कासित करने की ख़बर दी थी. वहीं, ऑस्ट्रेलियन ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (एबीसी) ने इस मामले में कोई संख्या नहीं बताई थी.

इससे पहले साल 2021 में ऑस्ट्रेलियाई ख़ुफ़िया एजेंसी के प्रमुख माइक बर्गेस ने कहा था कि 2020 में ऐसे विदेशी ऐजेंटों का पता चला है जो स्थानीय लोगों की तरह काम कर रहे हैं.

हालांकि उन्होंने ये नहीं बताया था कि ये विदेशी ऐजेंट किस मुल्क से हैं. उन्होंने कहा ये "बिना कारण ध्यान खींचने जैसा होगा."

लेकिन उसी सप्ताह कई अख़बारों में ख़बरें आईं थीं कि उन्होंने जिन विदेशी ऐजेंटों की बात की थी उनका नाता भारत से था.

उस वक्त न तो ऑस्ट्रेलिया ने इन ख़बरों की पुष्टि की और न ही खंडन किया. हालांकि सरकार ने ये ज़रूर कहा कि वो विदेशी हस्तक्षेप का मुक़ाबला करने के लिए तैयार है.

image Alex Ellinghausen / Sydney Morning Herald via Getty Images ऑस्ट्रेलियाई सुरक्षा ख़ुफ़िया संगठन के प्रमुख माइक बर्गेस

उस वक्त अमेरिकी वित्त मंत्री जिम चामर्स ने एबीसी से कहा था, "मुझे नहीं लगता कि आपको इन कहानियों के भीतर घुसना चाहिए. भारत के साथ हमारे अच्छे संबंध हैं और ये महत्वपूर्ण आर्थिक संबंध है."

ऑस्ट्रेलियाई सुरक्षा ख़ुफ़िया संगठन (एएसआईओ) के प्रमुख माइक बर्गेस ने कहा था कि "जासूसों के समूह" ने 2020 के दौरान "मौजूदा और पूर्व राजनेताओं, एक विदेशी दूतावास और एक राज्य पुलिस सेवा के साथ टारगेटेड संबंध" विकसित किए थे.

उन्होंने कहा, "उन्होंने देश के प्रवासी समुदाय की निगरानी की," एक सरकारी कर्मचारी से "बड़े हवाई अड्डे की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल किए" और "ऑस्ट्रेलिया के व्यापार संबंधों के लेकर ख़ुफ़िया जानकारी इकट्ठा करने की कोशिश की."

उन्होंने ये भी कहा कि एएसआईओ के उनके अभियान को नाकाम करने से पहले उन्होंने संवेदनशील रक्षा तकनीक की जानकारी रखने वाले एक ऑस्ट्रेलियाई नागरिक, जिन्हें सरकार के सुरक्षा मंजूरी मिली हुई थी, उनकी नियुक्ति की.

एबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार इसके कुछ वक्त बाद ऑस्ट्रेलिया की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी और सरकारी अधिकारियों ने एबीसी को बताया कि "जासूसों के समूह" के लिए भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसी ज़िम्मेदार थी और बाद में स्कॉट मॉरिसन के नेतृत्व वाली सरकार ने "कई भारतीय अधिकारियों" को निष्कासित किया था.

उसी सप्ताह वॉशिंगटन पोस्ट में एक ख़बर छपी जिसमें जिसमें दावा किया गया कि ऑस्ट्रेलियाई ख़ुफ़िया एजेंसी की कार्रवाई में रीसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) नाम की भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसी के दो सदस्यों को निष्कासित किया गया.

लेकिन भारत के विदेश मंत्रालय ने इन आरोपों को 'अटकलों वाली रिपोर्ट' करार दिया था.

जब विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल से ऑस्ट्रेलिया से दो भारतीय जासूसों को निष्कासित किए जाने के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, "हम इन ख़बरों को अटकलों से भरी रिपोर्ट के तौर पर देखते हैं. ऐसी रिपोर्टों पर हमारे पास कहने के लिए कुछ नहीं है."

कनाडा ने भी लगाए थे भारत पर जासूसी के आरोप image ANI इसी साल जी7 बैठक के दौरान कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और पीएम नरेंद्र मोदी

बीते साल कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने आरोप लगाया था कि सिख नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के पीछे भारत सरकार के एजेंटों का हाथ हो सकता है.

ट्रूडो ने कहा, ''कनाडा की एजेंसियों ने पुख्ता तौर पर पता किया है कि निज्जर की हत्या के पीछे भारत सरकार का हाथ हो सकता है. हमारे देश की ज़मीन पर कनाडाई नागरिक की हत्या के पीछे विदेशी सरकार का होना अस्वीकार्य है और ये हमारी संप्रभुता का उल्लंघन है.''

भारतीय विदेश मंत्रालय ने उनके आरोप को खारिज किया और कहा कि ''कनाडा में किसी भी तरह की हिंसा में भारत शामिल नहीं है.''

लेकिन उनके इस आरोप के बाद भारत और कनाडा के बीच रिश्तों में तनाव आ गया.

18 जून 2023 को ऑस्ट्रेलिया के ब्रिटिश कोलंबिया में एक गुरुद्वारे के सामने कनाडाई नागरिक हरदीप सिंह निज्जर को गोली मारी गई थी.

निज्जर कनाडा के अहम सिख नेता थे और सार्वजनिक तौर पर खालिस्तान का समर्थन करते थे. भारत ने साल 2020 की जुलाई में निज्जर को 'आतंकवादी' घोषित किया था.

कनाडा में खालिस्तान के मुद्दे पर पहले भी खालिस्तान समर्थक पहले भी विरोध प्रदर्शन करते रहे हैं जिन्हें लेकर भारत ने समय-समय पर नाराज़गी जताई है.

अमेरिका में पन्नू का मामला

कनाडा के इस आरोप के बाद अमेरिका में रहने वाले एक खालिस्तान समर्थक अलगाववादी की हत्या की नाकाम साज़िश को लेकर भारत पर आरोप लगे.

नवंबर 2023 में ब्रितानी अख़बार फ़ाइनैंशियल टाइम्स ने सूत्रों के हवाले से दावा किया कि अमेरिका ने अमेरिकी ज़मीन पर एक सिख अलगाववादी नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साज़िश को नाकाम किया है और इस साज़िश में भारत सरकार के शामिल होने से जुड़ी चिंताओं को लेकर चेताया है.

इस मामले पर अमेरिका की ओर से आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं की गई. हालांकि भारतीय विदेश मंत्रालय ने बताया "अमेरिका ने कुछ अपराधियों और आतंकवादियों समेत अन्य को लेकर कुछ जानकारियां साझा की थीं, जिनकी जांच चल रही है."

गुरपतवंत सिंह पन्नू स्वतंत्र सिख देश खालिस्तान बनाने के अभियान में शामिल संगठन 'सिख्स फ़ॉर जस्टिस' के वकील थे. भारत ने साल 2020 में उन्हें 'आतंकवादी' घोषित किया था.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

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