93 वर्षीय मीडिया मुगल रूपर्ट मर्डोक अपने मीडिया साम्राज्य के उत्तराधिकार को लेकर अपनी चार में से तीन संतानों के साथ क़ानूनी लड़ाई में उलझे हुए हैं.
सितंबर में अमेरिका के नेवाडा राज्य के रीनो शहर की एक अदालत में इस मामले की सुनवाई शुरू हुई. इसमें रूपर्ट मर्डोक के साथ उनके बच्चे जेम्स, प्रूडेंस और एलिज़ाबेथ शामिल हुए.
बंद दरवाजों में हुई इन सुनवाइयों के बाद जज को फ़ैसला करना है कि लगभग पच्चीस साल पहले रूपर्ट मर्डोक ने जिस मीडिया ट्रस्ट की स्थापना की थी, उसका नियंत्रण उनकी चार संतानों में से किसे सौंपा जाए.
रूपर्ट मर्डोक की अरबों डॉलर की मीडिया कंपनी न्यूज़ कॉर्प दुनिया के सैकड़ों अख़बारों और टेलीविजन चैनलों की मालिक है, जिसमें फॉक्स न्यूज़ जैसे टीवी चैनल, वॉल स्ट्रीट जर्नल और ब्रिटेन का सन अख़बार शामिल है.
BBC बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए ये भी पढ़ेंइस साम्राज्य का नियंत्रण पाने के लिए मर्डोक परिवार के भीतर चल रही लड़ाई मशहूर टीवी सीरीज़ ‘सक्सेशन’ की कहानी से मेल खाती है, जिसमें साज़िशें और एक दूसरे को मात देने के लिए दांवपेंच हैं.
पिछले सत्तर सालों में रूपर्ट मर्डोक ने अपने मीडिया साम्राज्य की बदौलत दुनिया के कई नेताओं पर प्रभाव डाला है, लेकिन अब वो 93 साल के हो चुके हैं और अपनी विरासत सुनिश्चित करना चाहते हैं.
इस सप्ताह हम दुनिया जहान में यही जानने की कोशिश करेंगे कि कौन बनेगा रूपर्ट मर्डोक के मीडिया साम्राज्य का उत्तराधिकारी?
एक साम्राज्य का उदय Getty Images रूपर्ट मर्डोक के पिता कीथ ऑस्ट्रेलिया के एक अख़बार के जाने-माने संपादक थे. बाद में उन्होंने अपना अख़बार निकाला और तय किया कि उनका बेटा रूपर्ट यह व्यापार संभालेगा.मर्डोक परिवार के मीडिया जगत में आने की शुरुआत पिछली सदी के पहले हिस्से में हुई थी.
रूपर्ट मर्डोक के पिता कीथ ऑस्ट्रेलिया के एक अख़बार के जानेमाने संपादक थे. बाद में उन्होंने अपना अख़बार निकालना शुरू कर दिया और तय किया कि उनके बाद उनका बेटा रूपर्ट यह व्यापार संभालेगा.
इस बारे में हमने बात की वाल्टर मार्श से जो एक ऑस्ट्रेलियाई पत्रकार हैं और ‘यंग रूपर्ट- दी मेकिंग ऑफ़ मर्डोक एम्पायर’ नामक किताब के लेखक भी हैं.
उन्होंने बताया कि रूपर्ट के पिता ने अपनी साख और प्रतिष्ठा का इस्तेमाल करके एडिलेड में एक मीडिया कंपनी बनाई और 1952 में उनकी मृत्यु के बाद वो विरासत में रूपर्ट को मिली.
इसी कंपनी को आधार बनाकर बाद में रूपर्ट मर्डोक ने यह मीडिया साम्राज्य खड़ा किया.
उस समय रूपर्ट केवल 23 साल के थे और ऑक्सफ़र्ड यूनिवर्सिटी में अपनी पढ़ाई पूरी कर चुके थे. कहा जाता है कि उस समय वो वामपंथी विचारधारा से प्रभावित थे.
उन्होंने अपने कमरे में लेनिन की एक मूर्ति भी लगा रखी थी. एक अख़बार के मालिक होने के नाते शुरुआती दिनों में उन्होंने सरकार को चुनौती देना शुरू कर दिया था.
वाल्टर मार्श कहते हैं, “उस समय उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में रूढ़िवादी व्यवस्था को चुनौती देना शुरू कर दिया था और उस समय उनकी सोच और तरीके विवादों के घेरे में भी रहे.”
1959 में तब एक नाटकीय मोड़ आया, जब मर्डोक के अख़बार ने रूपर्ट मैक्सवेल स्टुअर्ट नाम के एक मूल निवासी के पक्ष में रिपोर्टिंग की. इस व्यक्ति को एक नौ साल की लड़की की हत्या का दोषी पाया गया था.
मर्डोक के अख़बार का दावा था कि उस केस में मुकदमा न्यायपूर्ण तरीके से नहीं चलाया गया था. अख़बार के अभियान का नतीजा यह हुआ कि उस व्यक्ति को दी गई मृत्युदंड की सज़ा ख़ारिज हो गयी.
मगर इस अभियान के तहत अख़बार की रिपोर्टिंग के ख़िलाफ़ सरकार ने रूपर्ट मर्डोक और उनके अख़बार के ख़िलाफ़ मुकदमा दायर कर दिया.
वाल्टर मार्श कहते हैं कि मुकदमे के दौरान सरकारी वकील ने उनके ख़िलाफ़ भड़काऊ सुर्खियां लगाने से लेकर कई अन्य सबूत पेश किए.
अंतत: रूपर्ट मर्डोक के ख़िलाफ़ लगाए गए आरोप वापस ले लिये गए और मर्डोक ने अपने संपादक को नौकरी से हटा दिया.
लेकिन उन्होंने यह सबक भी सीख लिया की सत्ता में मौजूद लोगों से टकराने के बजाय अपना प्रभाव बढ़ाकर उसे सत्ता के ख़िलाफ़ इस्तेमाल करना ज्यादा बेहतर होगा.
वाल्टर मार्श के अनुसार उस घटना के बाद ही उन्होंने सरकार पर अपना प्रभाव बनाने के लिए अपने अख़बार का इस्तेमाल करना शुरू किया.
उसके बाद उन्होंने सिडनी के मीडिया बाज़ार में पैर जमाना शुरू किया.
वाल्टर मार्श कहते हैं कि बाद में रूपर्ट मर्डोक ने ऐसी अख़बार निकालने वाली कंपनियों को ख़रीदना शुरू कर दिया, जिनकी हालत ख़स्ता थी.
उन्होंने इस तरह नए बाज़ारों में जगह बनायी और ख़रीदे हुए अख़बारों को अपनी सोच के अनुसार ढालना शुरू कर दिया और उन्हें मुनाफ़े में ले आये.
ऑस्ट्रेलिया के बाद यह बिज़नेस मॉडल उन्होंने विदेशों में भी अपनाया. ऑस्ट्रेलिया के बाद उनका व्यापार ब्रिटेन में फैल गया.
ये भी पढ़ेंएनपीआर न्यूज़ के मीडिया संबंधी मामलों के संवाददाता और ‘मर्डोक्स वर्ल्ड-दी लास्ट ऑफ़ दी ओल्ड मीडिया एम्पायर’ नामक किताब के लेखक डेविड फ़ोकेनफ़्लिक कहते हैं कि रूपर्ट मर्डोक मानते थे कि ख़बरें वो छापी जाएं जो लोग पढ़ना या देखना चाहते हैं.
1960 के दशक में मर्डोक ने यूके के एक अख़बार ‘न्यूज़ ऑफ़ दी वर्ल्ड’ को ख़रीद लिया. यह अख़बार अपनी सनसनीख़ेज़ ख़बरों की वजह से लोकप्रिय था. उसके बाद उन्होंने ‘सन’ अख़बार को ख़रीद लिया.
उन्होंने कहा, “इस अख़बार में सेक्स, अपराध, स्पोर्ट्स और मनोरंजन से जुड़ी ख़बरों की कवरेज पर अधिक ज़ोर होता है. साथ ही ब्रिटिश समाज के उच्च वर्ग के लोगों के स्कैंडल की चर्चा रहती है. इस अख़बार का मूल मंत्र यह है कि जो भी लोग पढ़ना चाहें वही उन्हें परोसा जाए.”
1970 के दशक में मर्डोक ने अमेरिका के मीडिया जगत में पैर जमाना शुरू किया. वहां पहले उन्होंने सैन एंटोनियो एक्सप्रेस न्यूज़ अख़बार ख़रीदा और फ़िर न्यूयॉर्क पोस्ट.
उसके बाद उन्होंने टेलीविजन कंपनीयों की ओर रुख़ किया.
1985 में उन्होंने ट्वैंटिएथ सेंचुरी फॉक्स का सिने निर्माण यूनिट ख़रीदा और फिर कई टेलीविजन कंपनियां ख़रीदीं जो बाद में फॉक्स नेटवर्क के नाम से जानी जाने लगीं.
डेविड फ़ोकेनफ़्लिक कहते हैं कि, “वो एक दूसरे से जुड़े व्यापार ख़रीद लेते हैं. उन्होंने अमेरिकन फ़ुटबॉल एनएफएल के मैचों के प्रसारण के अधिकार ख़रीद लिए जो मुनाफ़े का सौदा साबित हुआ. 1996 में फॉक्स न्यूज़ बाज़ार में आ गया.”
इस दौरान मर्डोक यूके में टाइम्स और संडे टाइम्स अख़बार ख़रीद चुके थे. यह पहले स्वतंत्र अख़बार हुआ करते थे, लेकिन मर्डोक के नियंत्रण में जाते ही उनका राजनीतिक रुझान दक्षिणपंथी हो गया.
फिर 1989 में मर्डोक ने स्काई टेलीविजन शुरू किया. इन मीडिया नेटवर्क के ज़रिए उन्हें आर्थिक लाभ ही नहीं हुआ बल्कि राजनीति में उनका प्रभाव भी बढ़ गया.
डेविड फ़ोकेनफ़्लिक ने कहा कि, “बार बार यह दिखाया जाने लगा कि वो प्रधानमंत्रियों या प्रधानमंत्री पद के दावेदारों से मुलाक़ात कर रहे हैं. यह राजनेता हज़ारों मील का सफ़र कर के मर्डोक से मिलने न्यूयॉर्क आते दिखाई देते हैं. वो मर्डोक के प्रति आदर व्यक्त करना चहाते हैं क्यों कि वो जानते हैं कि मर्डोक अपनी लोकप्रिय मीडिया कंपनियों की मिलकियत के चलते उनकी राजनीतिक महत्वकांक्षों पर गहरा असर डाल सकते हैं.”
2007 में वाल स्ट्रीट जर्नल को ख़रीद कर मर्डोक ने अमेरिका की राजनीति और वित्तीय जगत में अपनी जगह और मज़बूत कर ली.
डेविड फ़ोकेनफ़्लिक कहते हैं कि कई सरकारों के नेता मर्डोक को ख़ुश रखने की फ़िराक में रहे हैं.
वो उन्हे टैक्स मे रियायतें देने के अलावा उनके लिए अनुकूल नीति नियम अपनाते रहे हैं, क्योंकि उन्हें डर था कि अगर मर्डोक उनसे नाराज़ हो गए तो वो अपने मीडिया समूहों के ज़रिए जनता को उनके ख़िलाफ़ कर सकते हैं.
2016 में फ़ॉक्स न्यूज़ ने डोनाल्ड ट्रंप के अभियान को समर्थन देना शुरू कर दिया था. और अगले चार सालों तक वो डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपतिय कार्यकाल में उनका समर्थन करता रहा.
फॉक्स न्यूज़ ने इस दौरान काफ़ी मुनाफ़ा भी कमाया. जब 2020 में ट्रंप चुनाव हार गए तो उन्होंने आरोप लगाया कि मतदान में धांधली हुई है. फॉक्स न्यूज़ ने उनके इन आरोपों को कई बार दोहराया.
इससे फॉक्स न्यूज़ की प्रतिष्ठा को चोट पहुंची और उसे नुकसान भी हुआ. अंतत: 2023 में उसने अपने लोकप्रिय कार्यक्रम के होस्ट टकर कार्लसन को हटा दिया.
इसके बाद उसको कानूनी मामलों के निपटारे के लिए उसे 78 करोड़ डॉलर चुकाने पड़े. मर्डोक के लिए यह संकेत था कि ट्रंप का साथ देना उन्हें भारी पड़ रहा है.
मगर डेविड फ़ोकेनफ़्लिक कहते हैं कि उनके लिए ट्रंप का साथ छोड़ना मुश्किल साबित हो रहा है क्योंकि उनकी अपने मामलों पर भी पकड़ ढीली पड़ रही है.
तो अब देखते हैं कि आगे उनके मीडिया साम्राज्य का क्या भविष्य है?
ये भी पढ़ें1999 में रूपर्ट मर्डोक और उनकी दूसरी पत्नी के बीच तलाक़ के समझौते तहत रूपर्ट मर्डोक ने एक ट्रस्ट बनाई, जिसमें उनके मीडिया साम्राज्य न्यूज़ कॉर्प और फॉक्स कार्पोरेशन के बोर्ड में मतदान के चालीस प्रतिशत अधिकार उनकी चार संतानों में बांट दिए गए.
लेकिन तब से अब तक काफ़ी कुछ बदल गया है. क्योंकि रूपर्ट मर्डोक की तीन नई बीवियों के अलावा दो और बच्चे भी कहानी में आ गए हैं.
अब रूपर्ट मर्डोक ट्रस्ट के नियमों में बदलाव चाहते हैं और मतदान के अधिकार चार संतानों में बांटने के बजाय सारे अधिकार अपने सबसे बड़े बेटे लैकलन मर्डोक को सौंपना चाहते हैं.
इसके लिए उन्होंने नेवाडा की एक अदालत में अर्ज़ी दी है. इस बारे में हमने बात की रीड वाइसबोर्ड से जो कोलंबिया यूनिवर्सिटी में कानून के प्रोफ़ेसर हैं.
वो कहते हैं कि, "उनकी दलील यह है कि लैकलन मर्डोक पहले से मीडिया कंपनियों को नियंत्रित कर रहे हैं. अगर इन कंपनियों के चलाने के प्रशासनिक अधिकार पूरी तरह उनके पास हों तो वो अपनी रणनीतियों को बेहतर तरीके से लागू कर के कंपनियों का फ़ायदा पहुंचा सकते हैं."
उन्होंने कहा, "लेकिन अगर कंपनियों को चलाने के लिए उन्हें अपने भाई बहनों पर निर्भर रहना पड़े, तो वह कंपनियों के लिए फ़ायदेमंद नहीं होगा. यहां यह भी याद रखना चाहिए कि उनके छ: भाई बहनों में से दो सबसे छोटे भाई बहनों के पास ट्रस्ट में कोई प्रशासनिक अधिकार नहीं हैं."
अगर ट्रस्ट को मुनाफ़ा मिल रहा हो तो इन छ: संतानों के पास ट्रस्ट में वोटिंग के अधिकार में बदलाव पर आपत्ति उठाने की क्या वजह हो सकती है?
रीड वाइसबोर्ड कहते हैं कि ट्रस्ट को मुनाफ़ा तभी मिलेगा, जब उसकी मीडिया कंपनियां मुनाफ़ा कमाएंगी.
मगर इसके बावजूद मर्डोक की संतानों को आपत्ति है. कहा जा रहा है कि रूपर्ट मर्डोक की बेटियां प्रूडेंस और एलिज़ाबेथ मीडिया साम्राज्य के संपादकीय रुझान से सहमत नहीं हैं.
वहीं, लैकलन के छोटे भाई जेम्स मर्डोक ने भी फ़ॉक्स न्यूज़ के संपादकीय रुझान से नाराज़गी की वजह से फॉक्स न्यूज़ से इस्तीफ़ा दे दिया.
मगर सच्चाई यह भी है इसी दक्षिणपंथी रुझान की वजह से यह मीडिया कंपनियां मुनाफ़ा कमा रही है.
रीड वाइसबोर्ड का मानना है कि अगर इन कंपनियों के राजनीतिक कवरेज को बदला गया तो उससे कंपनी की कीमत गिर जाएगी.
उनकी लोकप्रियता घटेगी, जिससे विज्ञापन से होने वाली कमाई घटेगी. अगर जेम्स मर्डोक की मर्जी के अनुसार फॉक्स नेटवर्क के कवरेज को संयमित किया गया, तो कंपनी को नुकसान होगा.
यही दलील रूपर्ट मर्डोक अदालत में रख रहे हैं. रूपर्ट मर्डोक के बच्चों के बीच विचारधारा के मतभेद तो हैं, लेकिन अगर यह मामला अदालत में पहुंच जाए तो इससे कंपनी के व्यापार पर बुरा असर पड़ेगा.
रीड वाइसबोर्ड ने कहा कि, “मीडिया कंपनियों के मामले अगर अदालत में पहुंच जाएं, तो उससे कंपनी के कामकाज में अफ़रातफ़री फैलती है और कंपनी को नुकसान होता है क्योंकि उससे निवेशक हाथ पीछे खींचने लगते हैं.”
उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि इस केस में अदालत का फ़ैसला आने के बाद हो सकता है मर्डोक परिवार के यह सदस्य मामले को और अधिक खींचने के बजाय उसे स्वीकार करके इस विवाद पर पूर्ण विराम लगा के आगे बढ़ जाएंगे.”
ये भी पढ़ेंयूके स्थित एंडर्स एनालिसिस की मुख्य अर्थशास्त्री एलिस ऐंडर्स कहती हैं कि न्यूज़ कॉर्प और फॉक्स कॉर्प का भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि लैकलन मर्डोक को कंपनियों पर चलाने के लिए मतदान का पूरा नियंत्रण मिलेगा या नहीं.
वह कहती हैं, “यह तो स्पष्ट है कि रूपर्ट मर्डोक ने अपनी राय बदल ली है और अब वो लैकलन को आजीवन न्यूज़ कॉर्प और फॉक्स कॉर्प का अध्यक्ष और सीईओ नियुक्त करना चाहते है ताकि वो इस मीडिया साम्राज्य को अगले दौर में ले जा सके.”
उन्होंने कहा, “लैकलन के साथ रूपर्ट मर्डोक लंबे समय से काम करते रहे हैं और उन पर भरोसा करते हैं. वो नहीं चाहते कि उनके अन्य बच्चे लैकलन के ख़िलाफ़ गोलबंदी कर सकें. मगर उनके इस कदम से उनकी संतानों में दरार तो पड़ ही गयी है.”
लेकिन क्या इस विवाद का कोई ऐसा हल निकल सकता है जिससे सभी संतुष्ट हों?
एलिस ऐंडर्स के अनुसार सैद्धांतिक तौर पर ऐसा हो सकता है कि लैकलन अपने भाई बहनों से उनके मतदान के अधिकार ख़रीद लें. लेकिन इसमें कई लोग शामिल हैं और इसके लिए बहुत पैसों की ज़रूरत होगी.
BBCवो कहती हैं कि, “ऐसी अफ़वाह भी है कि मर्डोक भाई बहनों के बीच समझौते के लिए बातचीत चल रही है. इसमें इस विकल्प पर भी चर्चा है कि लैकलन अपने भाई बहनों के मतदान के अधिकार पैसों की एवज़ हासिल कर लें. इसके लिए उन्हें कितने पैसों की ज़रूरत होगी यह कहना मुश्किल है.”
कहा जा रहा है कि लैकलन के पास उस सौदे के लिए पर्याप्त धन शायद नहीं है. लेकिन अगर लैकलन यह हासिल कर भी लें तो क्या वो इस मीडिया साम्राज्य में रूपर्ट मर्डोक जैसी भूमिका निभा पाएंगे?
और क्या लैकलन अपने पिता जैसा राजनीतिक प्रभाव प्राप्त कर पाएंगे? या वह युग अब समाप्त हो रहा है?
एलिस ऐंडर्स ने कहा कि “रूपर्ट मर्डोक ने कुछ समय तक राजनीति में बड़ी भूमिका निभायी. लेकिन अब लोगों ने ख़ास तौर पर युवाओं नें अख़बार पढ़ना कम कर दिया है, जिसके साथ वह युग ख़त्म हो रहा है.”
उन्होंने कहा, “अब अख़बार की जगह नया मीडिया आ चुका है जिसका प्रभाव कहीं ज्यादा है. मुझे लगता है कि इंटरनेट की नयी दुनिया में वैसी भूमिका अब कोई और नहीं निभा पाएगा.”
उन्होंने कहा, “चालीस या पचास के आयुवर्ग के मतदाताओं पर पारंपरिक मीडिया का कुछ प्रभाव अभी भी है लेकिन अब वो प्रभाव पहले जैसा नहीं रहा है.”
तो अब लौटते है अपने मुख्य प्रश्न की ओर- कौन बनेगा रूपर्ट मर्डोक के मीडिया साम्राज्य का उत्तराधिकारी?
अपने मीडिया साम्राज्य से रिटायर होने के एक साल बाद रूपर्ट मर्डोक अपने साम्राज्य का नियंत्रण अपने सबसे बड़े बेटे लैकलन को सौंपना चाहते हैं.
लैकलन मर्डोक मीडिया स्राम्राज्य के बड़े हिस्से का नियंत्रण कर रहे है और उनकी सोच और योजनाएं उनके पिता की सोच के क़रीब है.
जहां तक मर्डोक साम्राज्य के उत्तराधिकारी के चयन का सवाल है, रूपर्ट मर्डोक लैकलन को चुनना चाहते हैं, मगर अब सवाल यह है कि क्या अदालत उन्हें ऐसा करने देगी?
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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