भारत ने कहा है कि उसने पाकिस्तान और पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में 9 जगहों पर मिसाइल और हवाई हमले किए हैं. भारत ने कहा कि 'विश्वसनीय इंटेलीजेंस' के आधार पर चरमपंथी ठिकानों को निशाना बनाया गया है.
मंगलवार आधी रात के बाद भारतीय समयानुसार 1.05 बजे से 01.30 बजे के बीच हुए हमले ने इस पूरे इलाक़े में दहशत पैदा कर दी और स्थानीय निवासी ज़बदरस्त धमाकों की आवाज़ से जगे.
पाकिस्तान का कहना है कि छह जगहों को निशाना बनाया गया और दावा किया कि उसने भारत के पांच लड़ाकू विमानों और एक ड्रोन को मार गिराया है. लेकिन भारत ने इसकी पुष्टि नहीं की है.
पाकिस्तान ने कहा है कि भारतीय हवाई हमले और एलओसी पर गोलाबारी में 31 लोग मारे गए जबकि 46 लोग घायल हुए हैं.
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इस बीच भारतीय सेना ने कहा है कि एलओसी पर पाकिस्तान की ओर से हुई गोलाबारी में 15 नागरिक मारे गए.
पिछले महीने जम्मू कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हुए घातक चरमपंथी हमले के बाद यह ताज़ा तनाव पैदा हुआ है और इसकी वजह से परमाणु हथियार संपन्न प्रतिद्वंद्वियों के बीच तनाव और बढ़ गया है.
भारत ने कहा है कि उसके पास पहलगाम हमले में पाकिस्तान के 'आतंकवादियों' और बाहरी कारकों के जुड़े होने के स्पष्ट सबूत हैं, जबकि पाकिस्तान ने इससे साफ़ इनकार किया है.
पाकिस्तान ने ये भी कहा है कि भारत ने अपने दावों के पक्ष में कोई सबूत नहीं दिए हैं.
साल 2016 में उरी में 19 भारतीय सैनिकों के मारे जाने के बाद भारत ने एलओसी के पार 'सर्जिकल स्ट्राइक' की थी.
2019 पुलवामा धमाके में भारत के अर्द्धसैनिक बलों के 40 जवान मारे गए थे, इसके बाद भारत ने 1971 के बाद पहली बार पाकिस्तान के अंदर बालाकोट के पास हवाई हमला किया था. इस दौरान जवाबी हमले हुए और हवा में लड़ाकू विमानों के बीच तीख़ी झड़प देखने को मिली थी.
विशेषज्ञों का कहना है कि पहलगाम हमले का बदला लेने के लिए की गई कार्रवाई का दायरा काफ़ी व्यापक है, जिसमें एक साथ पाकिस्तान के तीन प्रमुख चरमपंथी समूहों के ठिकानों को निशाना बनाया गया है.
भारत का कहना है कि उसने पाकिस्तान और पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में नौ 'आतंकी ठिकानों' पर हमला किया, जिसमें लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी), जैश-ए-मोहम्मद और हिज़्बुल मुजाहिदीन के प्रमुख ठिकानों पर गहरी चोट की गई.
भारतीय प्रवक्ता के अनुसार, सबसे क़रीबी लक्ष्यों में सियालकोट में दो कैंप थे, जो सीमा से सिर्फ़ 6-18 किलोमीटर दूर हैं.
भारत का कहना है कि हवाई हमले का सबसे दूरस्थ लक्ष्य, पाकिस्तान के 100 किलोमीटर अंदर बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद का हेडक्वार्टर था.
प्रवक्ता के अनुसार, एलओसी से 30 किलोमीटर दूर और पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर की राजधानी मुज़फ़्फ़राबाद में लश्कर के कैंप का संबंध भारत प्रशासित कश्मीर में हाल ही में हुए हमलों से है.
पाकिस्तान का कहना है कि उसके इलाक़े में छह जगहों को निशाना बनाया गया लेकिन अपने यहां आतंकी कैंपों से इनकार किया है.
इतिहासकार श्रीनाथ राघवन ने बीबीसी को बताया, "इस बार जो बात चौंकाने वाली है वो यह कि, भारत ने अतीत में किए गए हमलों के पैटर्न का दायरा बढ़ाया है. इससे पहले, बालाकोट जैसे हमलों में एलओसी के पार पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर पर ध्यान केंद्रित किया गया था, जहां सेना की भारी तैनाती है."
वो कहते हैं, "इस बार भारत ने अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार पाकिस्तान के पंजाब में घुसकर लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकी ढांचे, हेडक्वार्टर और बहावलपुर और मुरीदके में ज्ञात ठिकानों को निशाना बनाया है. उन्होंने जैश-ए-मोहम्मद और हिज़्बुल मुजाहिदीन के ठिकानों पर भी हमला किया है. यह एक व्यापक, भौगोलिक रूप से अधिक विस्तृत प्रतिक्रिया का संकेत है, जो बताता है कि कई समूह अब भारत के निशाने पर हैं और एक व्यापक संदेश देता है."
भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा दोनों देशों को विभाजित करने वाली आधिकारिक रूप से मान्य सीमा है जो गुजरात से लेकर जम्मू तक फैली है.
पाकिस्तान में भारत के हाई कमिश्नर रह चुके अजय बिसारिया ने बीबीसी को बताया, "भारत ने जो किया वह 'बालाकोट प्लस' प्रतिक्रिया थी, जिसका मक़सद ज्ञात आतंकवादी केंद्रों को निशाना बनाकर प्रतिरोध स्थापित करना था, लेकिन इसके साथ ही तनाव कम करने का एक मजबूत संदेश भी था."
बिसारिया कहते हैं, "ये हमले अधिक सटीक, निशाने पर और अतीत के मुक़ाबले अधिक प्रत्यक्ष थे. इसलिए पाकिस्तान की ओर से इनकार करने की संभावना बहुत कम थी."
भारतीय सूत्रों का कहना है कि इन हमलों का मक़सद 'प्रतिरोध को फिर से स्थापित करना' था.
प्रोफ़ेसर राघवन कहते हैं, "भारत सरकार को लगता है कि 2019 में स्थापित की गई प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर पड़ गई है और इसे फ़िर से स्थापित करने की ज़रूरत है."
उनके अनुसार, "इसमें इसराइल के उस सिद्धांत की झलक है कि प्रतिरोधी क्षमता के लिए समय-समय पर बार-बार हमले की ज़रूरत होती है लेकिन हम ये मान लेते हैं कि सिर्फ़ हमला ही आतंकवाद को पीछे धकेल देगा, तो हम पाकिस्तान को भी जवाबी हमला करने को प्रोत्साहित करने का जोखिम उठाते हैं और यह जल्द ही हाथ से निकल सकता है."
अधिकांश विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान की ओर से जवाबी कार्रवाई अपरिहार्य है और तब कूटनीति की ज़रूरत पड़ेगी.
बिसारिया कहते हैं, "पाकिस्तान की ओर से जवाब आना निश्चित है. चुनौती अगले स्तर के संघर्ष को संभालने की होगी. यहीं पर क्राइसिस डिप्लोमेसी मायने रखेगी."
उनके अनुसार, "पाकिस्तान को संयम बरतने की सलाह मिल रही होगी. लेकिन पाकिस्तान की प्रतिक्रिया के बाद मुख्य बात कूटनीति होगी ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि दोनों के बीच संघर्ष और तेज़ी से न बढ़े."
लाहौर के राजनीतिक और सैन्य विश्लेषक एजाज़ हुसैन जैसे पाकिस्तान के एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत के सर्जिकल स्ट्राइक में मुरीदके और बहावलपुर जैसी जगहों को निशाना बनाने की 'आशंका तनावपूर्ण हालात की वजह से पहले से थी.
डॉ. हुसैन का मानना है कि जवाबी हमला होने की संभावना है.
उन्होंने बीबीसी से कहा, "पाकिस्तानी सेना की मीडिया में बयानबाज़ी और बदला लेने के लिए घोषित संकल्प को देखते हुए आने वाले दिनों में जवाबी कार्रवाई, संभवतः सीमा पार सर्जिकल स्ट्राइक के रूप में, मुमकिन लगती है."
लेकिन डॉ. हुसैन की चिंता है कि दोनों तरफ़ से सर्जिकल स्ट्राइक "एक सीमित कन्वेंशनल युद्ध" में बदल सकती है.
अमेरिका में अल्बानी विश्वविद्यालय के क्रिस्टोफ़र क्लैरी का मानना है कि भारत के हमलों की व्यापकता, 'प्रमुख जगहों पर प्रत्यक्ष क्षति' और हताहतों की संख्या को देखते हुए पाकिस्तान की ओर से जवाबी कार्रवाई की पूरी आशंका है.
दक्षिण एशिया मामले के अध्ययन केंद्र से जुड़े क्रिस्टोफ़र क्लैरी ने बीबीसी से कहा, "ऐसा न करने से भारत को अपनी मर्ज़ी से पाकिस्तान पर हमला करने की छूट मिल जाएगी और यह पाकिस्तानी सेना की 'बदले में जवाबी कार्रवाई' करने की प्रतिबद्धता से उलट होगा."
उन्होंने कहा, "आतंकवाद और उग्रवाद से जुड़े समूहों और ठिकानों के भारत द्वारा बताए गए टारगेट को देखते हुए, मुझे लगता है कि यह संभव है कि पाकिस्तान खुद को भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमलों तक ही सीमित रखेगा."
बढ़ते तनाव के बावजूद, कुछ विशेषज्ञ अभी भी तनाव कम होने की उम्मीद जता रहे हैं.
क्लैरी कहते हैं, "इसकी भी ठीक ठाक संभावना है कि हम इस संकट से उबर जाएं और सिर्फ़ एक-एक बार जवाबी हमले हों और कुछ समय के लिए एलओसी पर भारी गोलाबारी हो."
हालांकि, संघर्ष के और बढ़ने का जोखिम अभी भी बना हुआ है. इस वजह से यह 2002 के भारत-पाकिस्तान संकट के बाद 'सबसे ख़तरनाक' हालात हैं. ये 2016 और 2019 के गतिरोधों से भी अधिक ख़तरनाक है.

पाकिस्तान के एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत के हमले से पहले युद्ध उन्माद की स्थिति न होने के बावजूद हालात जल्द बदल सकते हैं.
इस्लामाबाद के विश्लेषक और जेन डिफ़ेंस वीकली के पूर्व संवाददाता उमर फ़ारूक़ कहते हैं, "हम राजनीतिक रूप से बहुत विभाजित समाज में रह रहे हैं. देश के सबसे लोकप्रिय नेता जेल की सलाखों के अंदर हैं. इमरान ख़ान को जेल भेजने ने सेना विरोधी व्यापक विरोध को जन्म दिया था."
वह कहते हैं, "आज 2016 या 2019 की तुलना में पाकिस्तान की अवाम का सेना के समर्थन के प्रति कम झुकाव रखती है, युद्ध उन्माद की आम लहर साफ़ तौर पर नहीं है. लेकिन अगर मध्य पंजाब में जनता की राय बदलती है, जहां भारत विरोधी भावनाएं अधिक हैं तो हम सेना पर कार्रवाई करने के लिए अधिक नागरिक दबाव देख सकते हैं और इस संघर्ष के कारण सेना की लोकप्रियता फिर से बढ़ जाएगी."
डॉ. हुसैन भी ऐसा ही मानते हैं.
वो कहते हैं, "मेरा मानना है कि भारत के साथ मौजूदा गतिरोध पाकिस्तानी सेना के लिए जनता का समर्थन हासिल करने का अवसर देता है, ख़ासकर शहरी मध्यम वर्ग में, जिन्होंने हाल ही में कथित राजनीतिक हस्तक्षेप के लिए इसकी तीख़ी आलोचना की है."
"सेना की सक्रियता को पहले से मुख्यधारा और सोशल मीडिया में बढ़ा चढ़ा कर दिखाया जा रहा है और कुछ मीडिया आउटलेट्स ने दावा किया है कि छह या सात भारतीय जेट विमानों को मार गिराया गया है."
"हालांकि इन दावों की स्वतंत्र पुष्टि की ज़रूरत है, लेकिन ये अवाम के उन वर्गों के बीच सेना की छवि को मजबूत करने का काम करते हैं जो पारंपरिक रूप से बाहरी ख़तरे के समय राष्ट्रीय रक्षा नैरेटिव के इर्द-गिर्द एकजुट होते हैं."
4. क्या भारत और पाकिस्तान संघर्ष की राह छोड़ सकते हैं?भारत एक बार फिर संघर्ष और संयम के बीच महीन धागे पर चल रहा है.
पहलगाम में हमले के कुछ ही देर बाद भारत ने अपने मुख्य बॉर्डर क्रॉसिंग को बंद करके, सिंधु जल बंटवारा संधि को निलंबित करके, राजनयिकों को निष्कासित करके और पाकिस्तानी नागरिकों के वीज़ा रद्द करके जवाबी कार्रवाई की.
दोनों तरफ़ की सेनाओं ने छोटे हथियारों से एक दूसरे पर फ़ायरिंग की है जबकि भारत और पाकिस्तान दोनों ने ही एक दूसरे के विमानों के लिए अपने एयर स्पेस को बंद कर दिया है.
जवाब में पाकिस्तान ने 1972 के शिमला शांति समझौते को निलंबित कर दिया और अन्य जवाबी क़दम उठाए हैं.
ये क़दम, 2019 के पुलवामा हमले के बाद भारत की कार्रवाइयों जैसे हैं, जब उसने पाकिस्तान के सर्वाधिक पसंदीदा राष्ट्र (एमएफ़एन) का दर्जा रद्द कर दिया, भारी टैरिफ़ लगा दिए और प्रमुख व्यापार और परिवहन संपर्कों को निलंबित कर दिया था.
यह संकट तब और बढ़ गया था जब भारत ने बालाकोट पर हवाई हमले किए, उसके बाद जवाबी पाकिस्तानी हवाई हमले हुए और भारतीय पायलट अभिनंदन वर्धमान को पकड़ लिया. इससे तनाव और बढ़ गया.
हालांकि, कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से अंततः तनाव कम हुआ और पाकिस्तान ने सद्भावना के तौर पर पायलट को रिहा कर दिया.
पिछले हफ़्ते बिसारिया ने मुझसे कहा था, "भारत पुराने ज़माने की कूटनीति को एक और मौका देने को तैयार था. ऐसा इसलिए क्योंकि भारत ने एक रणनीतिक और सैन्य मक़सद हासिल कर लिया था और पाकिस्तान ने अपने घरेलू दर्शकों के सामने जीत का दावा किया था."
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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