लोगों की सोने की आदतें कई तरह की हो सकती हैं. कुछ लोग सिर के नीचे मोटा तकिया लगाकर सोते हैं तो कुछ लोग पतले तकिए के साथ सोते हैं.
चाहे कोई भी मौसम हो कुछ लोगों को बिना चादर ओढ़े नींद नहीं आती है या वे इस तरह से सोना पसंद नहीं करते हैं. लेकिन एक बार जब आप नींद में चले जाते हैं तो आपको कई बातों का अंदाज़ा तक नहीं होता है.
इन्हीं में शामिल होता है- मुंह खोलकर सोना. क्या सोते समय आपका मुंह खुला रहता है? क्या किसी ने आपको बताया है कि नींद में आपका मुंह खुला रह जाता है?
अगर ऐसा है तो इस कहानी में हम यही जानने की कोशिश करेंगे कि नींद में मुंह खुला रहना किस बात का संकेत है?
क्या यह सेहत से जुड़े किसी ख़तरे की तरफ़ भी इशारा करता है?
नींद में मुंह का खुला रहना
कई बार जब लोग ज़्यादा मेहनत वाला या भारी काम कर रहे होते हैं तो उन्हें ज़्यादा ऑक्सीजन की ज़रूरत होती है और इसके लिए वह नाक के साथ ही मुंह से भी सांस लेते हैं.
कई बार दौड़ने या फ़ुटबॉल जैसे खेल में लोग मुंह से भी सांस लेकर हांफ़ते हुए दिखते हैं.
लेकिन आमतौर पर जब हम सोते हैं तो हमारी आंखों के साथ ही हमारा मुंह भी बंद होता है.
नींद में हम नाक से सांस लेते हैं और क्योंकि हम आराम की स्थिति में होते हैं तो हमें तेज़ी से सांस लेने की ज़रूरत नहीं होती है.
लेकिन कई लोगों का मुंह सोते समय खुला रहता है. दरअसल वह इस दौरान मुंह से सांस ले रहे होते हैं.
हमने इसकी वजह जानने के लिए दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानी एम्स में पल्मोनरी, क्रिटिकल केयर और स्लीप मेडिसिन विभाग के डॉक्टर विजय हड्डा से बात की.
डॉक्टर विजय हड्डा बताते हैं, "मुंह खुला रखकर सोना बहुत ही आम है. बहुत से लोग इस तरह से सोते हैं. केवल मुंह खुला रखकर सोना किसी बीमारी की निशानी नहीं है."
"अगर नाक में कोई समस्या हो या नाक ब्लॉक हो तो लोग सांस लेने के लिए मुंह का इस्तेमाल करते हैं."
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दरअसल नाक बंद रहने के पीछे ज़्यादा ज़ुकाम होना एक आम वजह है. लेकिन कई बार टॉन्सिल बढ़ने की वजह से भी नाक बंद होने की समस्या होती है. यह बच्चों में ज़्यादा होता है.
बच्चों में एडेनोइड्स, या टॉन्सिल का आकार बड़ा होता है, यह संक्रमण से लड़ने में उनकी मदद करता है. इसकी वजह से उनकी नाक में थोड़ा ब्लॉकेज होता है. इसलिए बहुत सारे बच्चे मुंह खोलकर सोते हैं.
उम्र बढ़ने के साथ ही टॉन्सिल छोटा होता जाता है और उनकी यह आदत धीरे-धीरे ख़त्म हो जाती है.
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सोते हुए मुंह के खुले रहने के पीछे एक वजह सेप्टम कार्टिलेज भी हो सकता है.
नाक के सेप्टम का एक अहम हिस्सा होता है- सेप्टम कार्टिलेज, जिसे नेज़ल सेप्टम कार्टिलेज भी कहते हैं. नाक का सेप्टम नेज़ल कैविटी को दो हिस्सों में बांटता है.
विजय हड्डा कहते हैं, "सेप्टम कार्टिलेज स्वाभाविक तौर पर थोड़ा डेढ़ा होता है, यह बिल्कुल सीधा नहीं होता है. लेकिन अगर यह ज़्यादा टेढ़ा हो जाए तो नाक के एक हिस्से को ब्लॉक कर देता है. यानी डेविएटेड नेज़ल सेप्टम (डीएनएस) होने से लोग मुंह से भी सांस लेने लगते हैं."
अगर यह परेशानी ज़्यादा हो जाए तो सेप्टोप्लास्टी (सर्जरी) के ज़रिए डीएनएस को ठीक किया जा सकता है.
लेकिन अगर कोई शख़्स सोते समय मुंह खुला रखता है और साथ में उसकी सांस से तेज़ आवाज़ आती है या वह खर्राटे लेता है तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर की सलाह लेना उचित होता है.
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दिल्ली के सफ़दरजंग हॉस्पिटल में पल्मोनरी, क्रिटिकल केयर एंड स्लीप मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉक्टर रोहित कुमार कहते हैं, ''मुंह से सांस लेने से मुंह में ड्रायनेस हो सकती है और इससे ओरल हाइजीन पर असर पड़ सकता है."
डॉक्टरों के मुताबिक़, कोई शख़्स मुंह खोलकर सोता है या वह मुंह से सांस लेता है और इस दौरान खर्राटे की आवाज़ भी आती हो तो यह किसी अन्य परेशानी का संकेत हो सकता है.
ऐसी स्थिति में डॉक्टर से संपर्क करने की सलाह दी जाती है, ताकि वह इसके पीछे की वजह का पता लगा सकें.
डॉक्टर रोहित कुमार कहते हैं, "अगर किसी को खांसी, बलगम या अन्य कोई परेशानी नहीं है और फिर भी वह मुंह खोलकर सोता है तो सबसे पहले इसकी जांच ईएनटी के दायरे में आती है. इसके बाद ही आगे की जांच की जा सकती है."
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.
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