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जल संकट की ओर बढ़ता ग़ज़ा, पानी की आपूर्ति के आधे स्थान क्षतिग्रस्त या नष्ट हुए: बीबीसी वेरिफ़ाई

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बीबीसी वेरिफ़ाई ने सैटेलाइट से जुटाई जानकारी की पड़ताल के बाद ये पाया कि हमास के ख़िलाफ़ इसराइल के मिलिट्री ऑपरेशन की शुरुआत से ग़ज़ा में सैकड़ों की संख्या में पानी और शौचालय सुविधा केंद्रों को नुक़सान पहुंचा है या फिर वे बर्बाद हो गए हैं.

ज़रूरी चीज़ों की आपूर्ति के लिहाज से एक अहम डीपो की मरम्मती का काम गंभीर रूप से बाधित हुआ है. सहायता एजेंसियों का कहना है कि स्वच्छ जल की कमी और बिना ट्रीटमेंट के छोड़े जा रहे सीवेज के पानी की वजह से आम लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर ख़तरा मंडरा रहा है.

इसराइली डिफ़ेंस फ़ोर्सेज़ (आईडीएफ़) ने बीबीसी को बताया कि हमास नागरिक सुविधाओं के केंद्रों का आतंकवादी मक़सद से इस्तेमाल करता है.

मानवाधिकारों की पैरवी करने वाले वकीलों का कहना है कि युद्ध के नियमों के तहत अगर इस बात के सबूत नहीं थे कि अति महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे का सैन्य इस्तेमाल हो रहा है तो ये इसराइल की जिम्मेदारी थी कि वो इनकी हिफ़ाजत करे लेकिन इसके बावजूद वहां ये बर्बादी हुई है.

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ग़ज़ा में साफ़ पानी हमेशा से एक ऐसा संसाधन रहा है जिसकी उपलब्धता बेहद सीमित रही है. ग़ज़ा की पानी की ज़रूरत की आपूर्ति व्यापक रूप से भूजल स्रोतों और खारे पानी को साफ़ करने वाले जल संयंत्रों पर निर्भर रही है.

हमारे विश्लेषण में ये बात सामने आई है कि सात अक्टूबर को हुए हमास के हमले के बाद ग़ज़ा पर इसराइल की जवाबी कार्रवाई में वहां काम कर रहे ऐसे महत्वपूर्ण जल संयंत्रों में आधे से ज़्यादा को नुक़सान पहुंचा है या फिर वे नष्ट हो गए हैं.

हमने ये भी पाया कि सीवेज के पानी का ट्रीटमेंट करने वाले छह संयंत्रों में से चार को नुक़सान पहुंचा है या फिर वे बर्बाद हो गए हैं.

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ये सीवेज ट्रीटमेंट संयंत्र गंदे पानी को इकट्ठा होने देने और बीमारियों को फैलने से रोकने के लिहाज से बेहद अहम थे.

एक सहायता एजेंसी ने बताया कि ईंधन और अन्य दूसरी चीज़ों की आपूर्ति की कमी के कारण बाक़ी दोनों सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट भी काम नहीं कर रहे हैं.

ये सीवेज ट्रीटमेंट संयंत्र उन 600 पानी और स्वच्छता सुविधा केंद्रों में से थे, जिनका हमने विश्लेषण किया.

ये लिस्ट हमें ग़ज़ा की कोस्टल म्यूनिसिपैलिटिज़ वाटर यूटिलिटी (सीएमडब्ल्यूयू) एजेंसी ने मुहैया कराया था.

ग़ज़ा के दक्षिण में ख़ान यूनिस की एक सैटेलाइट तस्वीर में पानी के दो बड़े स्टोरेज टैंक क्षतिग्रस्त अवस्था में देखे जा सकते हैं.

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सहायता एजेंसी 'मेडेसिंस सैंस फ्रंटियरेस यूके' की कार्यकारी निदेशक डॉक्टर नैटेली रॉबर्ट्स कहती हैं, "जल और स्वच्छता सुविधा केंद्रों की बर्बादी ने आम लोगों के स्वास्थ्य के लिए बड़ी मुश्किल स्थिति पैदा कर दी है."

वो कहती हैं, "डायरिया (दस्त) की बीमारी के मामले बड़े पैमाने पर बढ़ गए हैं."

इस चैरिटी संस्था के मुताबिक़, बेहद गंभीर मामलों में इस बीमारी के चलते बच्चों की जान भी चली जाती है. गंदे पानी में हेपटाइटिस ए के मामले बढ़े हैं और ये गर्भवती महिलाओं के लिए ख़तरनाक है.

डॉक्टर नैटेली रॉबर्ट्स कहती हैं, "ये लोगों की जान ले रहा है."

डॉक्टर रॉबर्ट्स कहती हैं कि रफ़ाह में ये बीमारी बढ़ रही है और वहां कॉलरा (हैज़ा) का ख़तरा हो गया है.

सात अक्तूबर के बाद से ही ग़ज़ा में इमारतों को भारी नुकसान हुआ है.

संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक अब तक ग़ज़ा में 69,000 घर तबाह हो चुके हैं और करीब 290,000 घरों को क्षति पहुँची है.

हमने जिन सहायताकर्मियों से बात की, उन्होंने बताया कि इस बात की संभावना कम ही है कि आम लोगों के घर में पानी की सप्लाई आ रही हो.

बीबीसी सैटेलाइट विश्लेषण image BBC

बीबीसी ने संयुक्त राष्ट्र और ह्यूमन राइट्स वॉच से पूछा कि सैटेलाइट इमेजों के विश्लेषण का सबसे सटीक तरीका क्या होगा.

हर स्थान के लिए हमने ताज़ा तस्वीरें जमा कीं और उसकी तुलना 7 अक्तूबर के पहले की तस्वीरों से शुरू की.

इसके बाद हमने आंशिक रूप से ढह गई या क्षति के अन्य लक्षणों वाली जगह की तस्वीरों का तुलनात्मक अध्ययन किया.

बीबीसी वेरिफ़ाइ ने 'तबाह' और 'क्षतिग्रस्त' स्थानों में भेद नहीं किया है. पानी की आपूर्ति करने वाले हर स्थान की सटीक जानकारी के बिना हम ये नहीं कह सकते कि वो तबाह हुआ है या सिर्फ़ उसे क्षति हुई है.

ग़ज़ा के कुएं दरअसल अंडरग्राउंड बोरवेल होते हैं जो एक इलेक्ट्रिक पंप से चलते हैं. ज़मीन के बाहर उनका एक छोटा-सा कंट्रोल रूम होता है.

ये कंट्रोल रूम इतना छोटा होता है कि इसे देख पाना आसान नहीं. इसलिए हमने कुएं से क़रीब स्थित इमारतों का विश्लेषण कर, क्षति का पता लगाने की कोशिश की है.

बीबीसी ने क्या पाया?

बीबीसी ने कुल 603 जगहों का विश्लेषण किया जहां से जल की आपूर्ति होती थी. हमने पाया कि सात अक्तूबर के बाद से इनमें से 53 फ़ीसदी को नुकसान पहुँचा है.

43 जगहें ऐसे इलाक़ों में थीं, जहाँ आस-पास काफ़ी नुकसान हुआ है या जहां सोलर पैनल हटा दिए गए हैं.

लेकिन हम ये यक़ीन के साथ नहीं कह सकते कि वहाँ पानी की आपूर्ति के स्थान को क्षति पहुँची है. इसलिए इन स्थानों को हमने अपने विश्लेषण में स्थान नहीं दिया है.

ताज़ा सैटेलाइन तस्वीरें मार्च और अप्रैल की हैं. हम अप्रैल से इनकी छानबीन कर रहे हैं.

क्षतिग्रस्त या तबाह हुई अधिकतर इमारतें उत्तरी ग़ज़ा और दक्षिण के शहर ख़ान यूनिस के आस-पास की हैं.

बूरेज की वेस्ट वॉटर फ़ैसिलिटी में सोलर पैनल पूरी तरह से तबाह है. सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट पर काई उग आई है.

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सैटेलाइट की तस्वीरों से पूरा नुकसान नहीं दिखता.

इसलिए संभव है कि हमारे विश्लेषकों ने कुछ प्रभावित इलाक़ों की चिह्नित नहीं किया हो.

कुछ जगहों पर ईंधन की कमी के कारण अभी काम भी शुरू नहीं हुआ है.

मिसाल की तौर पर डैर अल-बहाल में यूनसेफ़ का डिसेलिनेशन प्लांट (समुद्री जल को पीने योग्य बनाने का संयंत्र).

यूनसेफ़ ने बताया है कि इस प्लांट पर सिर्फ 30 प्रतिशत ही पानी निकाला जा रहा है.

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ग़ज़ा के अधिकतर निवासी अब अपने घरों से दूर टेंटों से बनी बस्तियों में रह रहे हैं.

पीछे छूटे शहर में सीवेज एक बड़ी दिक्कत बन गई है.

फ़लस्तीन के सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स के मोहम्मद अताल्लाह कहते हैं, "सीवेज निकालने के लिए जो पंप हैं वो काम नहीं कर रहे. सारी गलियों में गंदगी फैल रही है."

image Getty Images महत्वपूर्ण डिपो को नुक़सान

संघर्ष के कारण पानी के बुनियादी ढांचे को रिपेयर करना मुश्किल है.

लेकिन एक मुख्य वेयरहाउस पर हमले ने हालात को और बिगाड़ दिया है.

अल-मवासी में स्थित इस इमारत पर 21 जनवरी को मिसाइल गिरी थी.

इसमें चार लोगों की जान गई थी जबकि 20 अन्य घायल हो गए थे.

सीएमडब्ल्यूयू के मंथर शॉबलाक़ ने बीबीसी को बताया कि ये वेयरहाउस यूनिसेफ़ और उनकी संस्था के लिए एक वेयरहाउस की तरह काम करता था और गज़ा में पानी की सप्लाई का केंद्र था.

इसकी तबाही के बाद संस्था के लिए पाइपलाइन को रिपेयर करना मुश्किल हो गया है.

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आईडीएफ़ (इसराइली सेना) का कहना है कि उसने वेयरहाउस को निशाना नहीं बनाया था "लेकिन इसके निकट हमास के आतंकवादी थे और संभव है कि उन पर हुए हमले में वेयरहाउस को भी नुकसान हुआ हो."

बीबीसी ने आईडीएफ़ को तबाह किए गए पांच पानी के ठिकानों के बारे बताया गया.

एक केस में सेना ने कहा कि वहां कोई हवाई हमला नहीं हुआ है. बाक़ी चार के बारे में सेना का कहना है कि उनके निशाने पर हमास के लड़ाके थे.

सेना ने कहा, "हमास इन नागरिक ठिकानों पर अपने हथियार और गोला-बारूद रखता है. इनके अंदर हमास के आतंक को पोषित करने वाला बुनियादी ढांचा है. वहां से वे हमले करते हैं. सेना ऐसी जगहों को खोजकर उन्हें तबाह कर रही है. ऐसी कुछ जगहें पानी की आपूर्ति से भी जुड़ी हुई हैं."

इंटनेशनल क्रिमिनल कोर्ट की पूर्व सलाहकार लीला सदात ने बीबीसी को बताया कि जब तक पुख़्ता सबूत न हों तक आम नागरिकों को सुविधा मुहैया करवाले वाली जगहों को सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए.

उनका कहना है था कि युद्ध की कार्रवाइयों की वैधता का पता लगाने के लिए सारी घटनाओं का पैटर्न समझना ज़रूरी है.

लीला कहती हैं, "आप सिर्फ़ अलग-अलग हमलों पर ही नज़र नहीं रख सकते. इसराइली सेना ने पानी की पाइपों, टंकियों, जलाशयों और अन्य बुनियादी ढांचे को निशाना बनाया है."

वे कहती हैं, "बिना मंशा के ग़ज़ा की आधे पानी की व्यवस्था को तबाह करना बहुत मुश्लिक काम है. तो जो पैटर्न दिखता है वो सिविल इलाक़ों पर अंधाधुंध हमले करना या उनको नुकसान पहुंचाने का था. ये सिर्फ़ ग़लतियां नहीं थीं."

बीबीसी की छानबीन पर इंटरनेशनल क्रिमिनल और मानवाधिकार मामलों की वकील सारा इलिज़ाबेथ डिल ने कहा, "न तो अंतरराष्ट्रीय कानून के पालन की कोशिश हो रही है न ही इंसानों की जान की परवाह है. हम ग़ज़ा की पूरी बर्बादी का मंज़र देख रहे हैं."

(इरवान रिवॉल्ट, जोशुआ चीथम, बेनेडिक्ट गार्मन और दीना ईआसा की अतिरिक्त रिपोर्टिंग के साथ)

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