जहां देखो, वहां खालीपन
स्वर्णनगरी के सैकड़ों साल प्राचीन ऐतिहासिक दुर्ग और कलात्मक गड़ीसर सरोवर आदि में इन दिनों सुबह से लेकर शाम तक अत्यल्प पर्यटक ही घूमने आ रहे हैं। ज्यादातर के कदम श्राद्धपक्ष में ठिठक गए हैंं। इसी तरह से रामदेवरा मेला संपन्न होने से बाबा के जातरू जो पिछले करीब एक माह से जैसलमेर में रौनक बना रहे थे, उनकी तादाद अब नगण्य हो चली है। यही कारण है कि शहर के दर्शनीय स्थलों के साथ कुलधरा, अमरसागर, लौद्रवा जैसे पर्यटकों के आकर्षण वाले गांवों व सम के सेंड ड्यून्स तक में या तो पूरी तरह से वीरानी नजर आती है अथवा बहुत कम संख्या में ही पर्यटक घूमते दिख रहे हैं। पर्यटन व्यवसायियों में इसे लेकर निराशा का वातावरण है। उनमें से कइयों ने हजारों-लाखों रुपए का निवेश कर प्रतिष्ठान शुरू किए हैं लेकिन सीजन के शुरू होने के कुछ दिनों बाद ही श्राद्ध पक्ष आ जाने से पर्यटकों की संख्या में गिरावट आ गई है।
अब भविष्य पर नजर
वर्तमान सितम्बर माह पूरा श्राद्ध में जाने वाला है। ऐसे में पर्यटकों की सरगर्मी कम ही रहने वाली है। उसके बाद 3 अक्टूबर से नवरात्रा पक्ष प्रारंभ हो जाएगा। तब से पर्यटकों का रैला स्वर्णनगरी में उमडऩा तय माना जा रहा है। इस बीच 1 अक्टूबर से जैसलमेर के लिए इंडिगो कम्पनी की तरफ से दिल्ली व मुम्बई के लिए नियमित विमान सेवा भी शेड्यूल की जा चुकी है। उससे भी पर्यटकों के आगमन को गति मिलने की पूरी संभावना है। नवरात्रा के दौरान व उसके तुरंत बाद से बंगाली सैलानियों का सैलाब आता है। इससे स्वर्णनगरी के पर्यटन को हमेशा ही बूस्टर डोज मिलती रही है। साथ ही विजयदशमी और उसके बाद दिवाली सीजन की धूम मचेगी। मौसम परिवर्तन भी पर्यटकों की तादाद में अहम भूमिका अदा करता है। दिवाली के आसपास शीतकाल का आगाज हो जाता है। जो जैसलमेर के पर्यटन के लिए बेहद अनुकूल मौसम माना जाता है। यही वजह है कि ज्यादातर पर्यटन व्यवसायियों ने जिनमें होटल और रिसोर्ट संचालक शामिल हैं, अभी से करीब 15 दिन बाद जोर पकडऩे वाले सीजन के मद्देनजर तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। इन तैयारियों में स्टाफ सदस्यों की भर्ती से लेकर अन्य जरूरी व्यवस्थाएं करना शामिल है। श्राद्धपक्ष होने के कारण पर्यटन सीजन वर्तमान में पूरी तरह से मंदा पड़ गया है। देशी पर्यटकों की संख्या में एकदम से कमी आ गई है। अब हमारी सारी उम्मीदें अक्टूबर माह से सीजन के जोर पकडऩे पर टिकी हैं।
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