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आखिर कैसे अल्बर्ट हॉल बना जयपुर का पहला पब्लिक म्यूज़ियम? वायरल वीडियो को देख आंखों पर नहीं होगा यकीन

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जयपुर, जिसे गुलाबी नगर के नाम से जाना जाता है, अपने भव्य किलों, राजसी महलों और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है। इसी सांस्कृतिक धरोहर का एक अनमोल रत्न है – अल्बर्ट हॉल म्यूज़ियम। यह संग्रहालय राजस्थान की राजधानी जयपुर के केंद्र में स्थित है और इसकी भव्यता, वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व के कारण यह पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण बन चुका है।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

अल्बर्ट हॉल म्यूज़ियम का निर्माण वर्ष 1876 में शुरू हुआ था, जब प्रिंस ऑफ वेल्स (बाद में किंग एडवर्ड सप्तम) ने भारत का दौरा किया था। इसे एक स्वागत भवन के रूप में डिज़ाइन किया गया था, लेकिन बाद में महाराजा सवाई राम सिंह द्वितीय और उनके उत्तराधिकारी सवाई माधो सिंह द्वितीय की प्रेरणा से इसे एक संग्रहालय के रूप में विकसित किया गया। इस भवन को ब्रिटिश वास्तुकार सर सैमुअल स्विंटन जैकब ने डिज़ाइन किया था।

वास्तुकला की विशेषताएँ

अल्बर्ट हॉल म्यूज़ियम की वास्तुकला इंडो-सारासेनिक शैली में निर्मित है, जो हिंदू, मुगल और यूरोपीय स्थापत्य शैलियों का सुंदर मिश्रण है। यह संग्रहालय राम निवास गार्डन के बीचों-बीच स्थित है, जिससे इसकी भव्यता और भी अधिक निखर कर सामने आती है। संगमरमर की नक्काशी, मेहराबें, गुंबद और नाजुक झरोखे इसकी खूबसूरती को और बढ़ाते हैं।

संग्रहालय का खजाना

अल्बर्ट हॉल म्यूज़ियम में प्राचीन वस्तुओं का एक विशाल संग्रह है, जिसमें भारत और विदेशों की कलाकृतियाँ शामिल हैं। यहाँ आपको मिस्र की ममी से लेकर राजस्थानी लोक कला, मूर्तियाँ, पेंटिंग्स, धातु की वस्तुएँ, हथियार, वाद्य यंत्र, गहने और हस्तशिल्प की अद्भुत झलक देखने को मिलती है। मिस्र से लाई गई ममी इस संग्रहालय का विशेष आकर्षण है, जिसे देखने के लिए पर्यटक विशेष रूप से आते हैं।

सांस्कृतिक गतिविधियाँ

यह संग्रहालय केवल वस्तुओं को देखने का स्थान नहीं है, बल्कि यह समय-समय पर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों, प्रदर्शनी और कार्यशालाओं का भी आयोजन करता है। इसके माध्यम से राजस्थान की कला और संस्कृति को बढ़ावा देने का कार्य किया जाता है।

पर्यटन के लिहाज़ से महत्त्व

अल्बर्ट हॉल म्यूज़ियम न केवल जयपुर के ऐतिहासिक धरोहरों में गिना जाता है, बल्कि यह शहर की सांस्कृतिक आत्मा को भी दर्शाता है। दिन में इसकी भव्यता दर्शनीय होती है, लेकिन रात के समय जब इसे लाइटों से सजाया जाता है, तब यह और भी आकर्षक लगने लगता है।

निष्कर्षतः, अल्बर्ट हॉल म्यूज़ियम न केवल जयपुर की शान है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक विविधता और इतिहास को समझने का एक जीवंत माध्यम भी है। यदि आप जयपुर घूमने का मन बना रहे हैं, तो अल्बर्ट हॉल म्यूज़ियम को अपनी सूची में जरूर शामिल करें।

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