डीडवाना का इंडोलाव पशु मेला शुरू हो चुका है और देश भर से आए पशु यहाँ आकर्षण का केंद्र हैं। नागौरी नस्ल के सांडों के लिए मशहूर यह मेला इस बार एक खास मेहमान की वजह से चर्चा में है। यह मेहमान कोई और नहीं, बल्कि मुर्रा नस्ल का भैंसा "बलवीर" है, जिसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से आ रहे हैं।
बलवीर नाम का यह भैंसा परबतसर के बरनेल गाँव के शिक्षक डूंगाराम का है। डूंगाराम इसे हरियाणा के भट्टू कला से 3 दिन की उम्र में लाए थे और अब बलवीर 33 महीने का है। जब यह 26 महीने का था, तब एक डेयरी मालिक ने इसकी 10 लाख रुपये की बोली लगाई थी, लेकिन मालिक ने इसे बेचने से इनकार कर दिया। डूंगाराम का कहना है कि उन्होंने बलवीर को अपने बच्चे की तरह पाला है और इसे बेचने का उनका कोई इरादा नहीं है।
इसे संभालने के लिए एक बार में पाँच लोगों की ज़रूरत होती है
बलवीर का शरीर चमकदार, चिकना और सुडौल है, और इसका रौबदार चेहरा भी लोगों को आकर्षित करता है। इसका वज़न लगभग 8 से 10 क्विंटल है और इसे एक बार में संभालने के लिए पाँच लोगों की ज़रूरत होती है। इसके स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए इसे बाजरा, गेहूँ, देसी घी और तिल के तेल का विशेष आहार दिया जाता है।
वीर्य की एक बूंद की कीमत 2400 रुपये तक
पशु चिकित्सक डॉ. रामेश्वरलाल के अनुसार, बलवीर जैसी भैंसें नस्ल सुधार और वीर्य संवर्धन के लिए बेहद उपयोगी हैं। इसके वीर्य की पूरे देश में मांग है। वीर्य की एक बूंद की कीमत 2400 रुपये तक होती है और एक बार में निकाले गए 10 से 14 मिलीलीटर वीर्य से 700 से 900 खुराकें तैयार की जा सकती हैं।
माँ एक बार में 22 लीटर तक दूध देती है
बलवीर का आनुवंशिक महत्व उसकी माँ से भी जुड़ा है, जो स्वयं मुर्रा नस्ल की एक हृष्ट-पुष्ट भैंस है और एक बार में 22 लीटर तक दूध देती है। यही कारण है कि बलवीर की नस्ल और भी मूल्यवान हो जाती है। मुर्रा नस्ल की भैंसों की कीमत उनकी गुणवत्ता पर निर्भर करती है और यह 50 हज़ार रुपये से लेकर करोड़ों रुपये तक हो सकती है।
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