Next Story
Newszop

मंत्री जोगाराम पटेल का डोटासरा पर कसा तीखा तंज, बोले - 'सचिन पायलट के बढ़ते कद को देख डोटासरा कर रहे बयानबाजी'

Send Push

राजस्थान के संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने गोविंद सिंह डोटासरा के बयानों को लेकर कांग्रेस पर जमकर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि अहमदाबाद में कांग्रेस अधिवेशन में जिस तरह डोटासरा को दरकिनार किया गया, उससे उनकी मन:स्थिति समझी जा सकती है। वहीं, विधानसभा में अनुपस्थित रहने और अपनी पार्टी में सचिन पायलट के बढ़ते कद के कारण डोटासरा अखबारों की सुर्खियां बटोरने के लिए बिना किसी आधार के गलत बयानबाजी कर रहे हैं। डोटासरा को शायद यह पता नहीं है कि विशेषाधिकार कानून कब लाया जा सकता है।

'विशेषाधिकार हनन का सवाल ही नहीं उठता'
मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने बजट से पहले डोटासरा से यहां तक कह दिया था कि अगर कोई विधायक अपने क्षेत्र में विकास करवाने की बात मुझसे कहना चाहता है तो वह आपके माध्यम से भी बता सकता है। मैं प्रदेश के विकास के लिए हमेशा तत्पर हूं और बिना किसी भेदभाव के विकास कार्यों को प्राथमिकता दूंगा। ऐसे में विशेषाधिकार हनन का सवाल ही नहीं उठता। जोगाराम पटेल ने कहा कि डोटासरा ने पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र सिंह राठौड़ का नाम लेकर बेबुनियाद आरोप लगाए हैं, डोटासरा के ये आरोप पूरी तरह से गलत हैं। पंचायतों का पुनर्गठन एक प्रशासनिक और कानूनी व्यवस्था है। पंचायतों का पुनर्गठन पंचायती राज अधिनियम के अनुसार होता है और नगर पालिका का पुनर्गठन नगर पालिका अधिनियम के अनुसार होता है। यह पूरी तरह से प्रशासनिक इकाई है, जिसमें विधायकों और जनप्रतिनिधियों की भूमिका सिर्फ सुझाव देने तक ही हो सकती है, यह इकाई कानून के अनुसार पूरी पारदर्शिता के साथ निर्णय लेती है।

1975 के एक मामले का उदाहरण दिया
इस इकाई के निर्णय के बाद भी आपत्तियों की सुनवाई का अधिकार जिला और प्रदेश समिति के समक्ष होता है। ऐसे में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष डोटासरा का बयान गलत और गैर जिम्मेदाराना है। यह बयान कांग्रेस की अंदरूनी कलह को स्पष्ट कर रहा है। पटेल ने 1975 के दौरान की एक ऐसी ही घटना का उदाहरण देते हुए कहा कि विधानसभा में भी ऐसी ही घटना सामने आई थी, तत्कालीन पंचायती राज मंत्री ने कहा था कि हम पंचायतों का कार्यकाल नहीं बढ़ाएंगे, लेकिन कार्यकाल बढ़ा दिया गया। उस समय भी प्रो. केदार और एक अन्य माननीय विधायक ने विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाने का प्रयास किया था, लेकिन उस समय भी यह स्पष्ट था कि यह विशेषाधिकार के दायरे में नहीं आता। डोटासरा ने तथ्यों से परे जाकर गैरजिम्मेदाराना बयान दिया है, ऐसे में उन्हें सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए।

Loving Newspoint? Download the app now